अहमदाबाद- पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट की पत्नी श्वेता ने उनके छह साल के कैद पर एक भावुक नोट लिखा है। 5 सितंबर, 2018 को संजीव भट्ट को हिरासत में मृत्यु के एक मामले में गिरफ्तार किया गया था। गुरुवार को उनके कारावास के 2193 दिन पूरे हो चुके हैं।
गुजरात कैडर के एक प्रतिष्ठित आईपीएस अधिकारी के रूप में विख्यात संजीव भट्ट को 20 जून 2019 को 1990 के एक हिरासत में मौत के मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। इसके बाद 27 मार्च 2024 को उन्हें पालनपुर सत्र न्यायालय ने एक ड्रग्स तस्करी मामले में दोषी ठहराया।
This is Shweta Sanjiv Bhatt,
— Sanjiv Bhatt (IPS) (@sanjivbhatt) September 5, 2024
Today marks 2193 days since Sanjiv Bhatt has been languishing in Jail for a crime he did not commit.
September 5, 2018—a day forever seared in our memory as the day Sanjiv Bhatt was unjustly torn from us. Today marks 6 years of his wrongful…
संजीव भट्ट की पत्नी ने अपने नोट में लिखा, "हर दिन हम न्याय के लिए संघर्ष कर रहे हैं, और हर दिन यह तानाशाही शासन संजीव की आवाज को हमेशा के लिए दबाने की कोशिश करता है। रविवार को संजीव को चुपचाप और गुपचुप तरीके से एक और जेल में स्थानांतरित कर दिया गया, जो खतरनाक अपराधियों और आतंकवादियों के लिए कुख्यात है। यह कदम सिर्फ एक साधारण जेल स्थानांतरण नहीं है, बल्कि एक सुनियोजित साजिश है, जिससे संजीव की जान और सुरक्षा को खतरे में डाला जा सके।"
उन्होंने आगे कहा, "संजीव का संघर्ष सिर्फ उनका नहीं, बल्कि हम सभी का है। यह सत्य की रक्षा का संघर्ष है, जो हमारे देश में धीरे-धीरे धुंधला होता जा रहा है। संजीव का आत्मबल और सत्यनिष्ठा हमें अंधकार के बीच प्रकाश की एक किरण दिखाता है। अब चुप्पी साधने का समय नहीं है।"
इस भावुक संदेश के माध्यम से, संजीव भट्ट की पत्नी ने समाज से अपील की कि वह इस अन्याय के खिलाफ आवाज उठाएं और उनके पति के लिए न्याय की मांग करें।
कौन हैं संजीव भट्ट?
संजीव भट्ट भारतीय पुलिस सेवा के एक पूर्व अधिकारी हैं, जो गुजरात कैडर से ताल्लुक रखते हैं। उन्हें 2002 के गुजरात दंगों में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर करने के लिए जाना जाता है। भट्ट ने दावा किया था कि उन्होंने एक बैठक में हिस्सा लिया था, जिसमें मोदी ने शीर्ष पुलिस अधिकारियों से कहा था कि हिंदुओं को मुसलमानों के खिलाफ अपना गुस्सा निकालने दिया जाए। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त विशेष जांच दल ने इस दावे को खारिज कर दिया था और भट्ट के आरोपों को निराधार करार दिया।
2015 में, संजीव भट्ट को बिना अनुमति के अनुपस्थिति के आधार पर पुलिस सेवा से हटा दिया गया था। इसके बाद, सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया और उन पर लगे मामलों की जांच के लिए SIT के गठन की मांग को भी नकार दिया। अदालत ने यह भी पाया कि भट्ट राजनीतिक दलों के नेताओं और एनजीओ के संपर्क में थे।
20 जून 2019 को, उन्हें 1990 के एक हिरासत में मौत के मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। इसके बाद, 27 मार्च 2024 को, उन्हें पालेनपुर सत्र न्यायालय ने एक ड्रग्स तस्करी मामले में दोषी ठहराया।