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चीनी लहसुन से परेशान MP के किसान, पूर्व सीएम ने मंडियों में प्रतिबंधित लहसुन बेचने पर रोक लगाने की मांग की

भोपाल। चीन से अवैध रूप से आयात किए जा रहे लहसुन ने भारतीय बाजार में हलचल मचा दी है। सस्ते दाम और आकर्षक दिखावट के कारण यह लहसुन तेजी से बिक रहा है, लेकिन इससे स्थानीय किसानों को भारी नुकसान हो रहा है। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने मध्य प्रदेश की मंडियों में चीन का प्रतिबंधित लहसुन बेचे जाने पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इस समस्या पर तुरंत प्रभावी कदम उठाने की मांग की है।

दिग्विजय सिंह ने कहा कि चीन का लहसुन बाजार में आने से स्थानीय लहसुन उत्पादक किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य नहीं मिल रहा है। उन्होंने इस बात का उल्लेख किया कि रतलाम में हाल ही में किसानों ने ऐसे दो ट्रक पकड़े, जिनमें चीनी लहसुन लदा हुआ था। इन ट्रकों को किसानों ने पुलिस के हवाले कर दिया।

अवैध आयात से किसानों को नुकसान

दिग्विजय सिंह ने बताया कि चीन का प्रतिबंधित लहसुन अफगानिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश, म्यांमार और ईरान के रास्ते अवैध रूप से भारत आ रहा है। इससे मंदसौर, नीमच, और रतलाम के लहसुन उत्पादकों को भारी नुकसान हो रहा है।

“किसानों ने 500 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से लहसुन का बीज खरीदकर फसल लगाई है, लेकिन चीनी लहसुन के कारण बाजार में उनके उत्पाद की कीमत गिर रही है। इस स्थिति से किसानों को गहरा आर्थिक नुकसान हो रहा है,” सिंह ने अपने पत्र में कहा।

मध्य प्रदेश का लहसुन पूरे देश में प्रसिद्ध

मंदसौर, नीमच और रतलाम जिलों में उत्पादित लहसुन की मांग पूरे देश में होती है। स्थानीय व्यापारी इंदौर सहित अन्य मंडियों से यह लहसुन खरीदकर देश के अन्य हिस्सों में भेजते हैं। दिग्विजय सिंह ने कहा कि यह लहसुन अपनी गुणवत्ता और स्वाद के कारण देशभर में लोकप्रिय है, लेकिन चीनी लहसुन के बढ़ते आयात ने इस क्षेत्र की खेती को चुनौतीपूर्ण बना दिया है।

दिग्विजय सिंह ने बताया कि सीमावर्ती देशों के रास्ते चीन का लहसुन भारत में प्रवेश कर रहा है। कुछ दिनों पहले मंदसौर जिले के नयाखेड़ा क्षेत्र में लहसुन से भरी दो गाड़ियों को अफगानिस्तान के कागजात दिखाने के बाद मंडी सचिव ने बिना किसी जांच के छोड़ दिया। ये गाड़ियां अटारी बॉर्डर से होकर बेंगलुरु की ओर जा रही थीं।

केंद्र और राज्य सरकार से जांच की मांग

दिग्विजय सिंह ने मुख्यमंत्री से अपील की है कि वह केंद्र सरकार से आग्रह करें कि सीमावर्ती देशों से भारत आ रहे चीनी लहसुन की जांच की जाए। उन्होंने इस मुद्दे पर कड़ी कार्रवाई करने की आवश्यकता पर बल दिया ताकि स्थानीय किसानों को उचित बाजार और लाभ मिल सके।

स्थानीय किसानों की चिंता

मध्य प्रदेश के किसान लंबे समय से लहसुन की गिरती कीमतों और लागत में वृद्धि को लेकर परेशान हैं। चीन का सस्ता और प्रतिबंधित लहसुन इस समस्या को और बढ़ा रहा है। किसान संगठनों का कहना है कि अगर इस पर रोक नहीं लगाई गई, तो स्थानीय किसानों की स्थिति और खराब हो जाएगी।

भारतीय किसान संघ के संगठन मंत्री राहुल धूत ने द मूकनायक से बातचीत में कहा कि चीन के प्रतिबंधित लहसुन का आयात देश के किसानों के लिए गंभीर समस्या बनता जा रहा है। यह लहसुन अफगानिस्तान, नेपाल और बांग्लादेश जैसे देशों के रास्ते भारत की मंडियों तक पहुंच रहा है, जिससे स्थानीय लहसुन उत्पादकों को अपनी उपज का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार की निगरानी व्यवस्था में खामियां हैं, जिसके चलते यह अवैध आयात जारी है।

उन्होंने कहा कि मंदसौर, नीमच और रतलाम जैसे जिलों में उगाए गए लहसुन की पूरे देश में मांग है, लेकिन चीनी लहसुन के कारण इन इलाकों के किसान नुकसान झेल रहे हैं। उन्होंने सरकार से मांग की कि आयातित लहसुन की जांच और सख्ती से रोकथाम की जाए, ताकि भारतीय किसानों को उनके परिश्रम का सही मुआवजा मिल सके।

क्या है चाइनीज लहसुन?

चाइनीज लहसुन का उत्पादन मुख्य रूप से चीन में होता है और यह कम लागत में तैयार होने के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में सस्ते दाम पर बेचा जाता है। यह आकार में बड़ा, हल्के वजन का और चमकीला होता है, जिससे यह दिखने में आकर्षक लगता है। हालांकि, इसके स्वाद और पोषण में भारतीय लहसुन की तुलना में कमी पाई जाती है। चाइनीज लहसुन में फसल सुरक्षा रसायनों का उपयोग अधिक होता है, जो इसे लंबे समय तक सुरक्षित रखता है, लेकिन इससे स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

चीन से आने वाले इस लहसुन का भारतीय बाजार में बड़ी मात्रा में अवैध आयात हो रहा है। अफगानिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार जैसे देशों के रास्ते इसे भारत में लाया जा रहा है। यह सस्ता होने के कारण भारतीय मंडियों में आसानी से बिक जाता है, जिससे स्थानीय किसानों को अपनी उपज का उचित मूल्य नहीं मिल पाता। इसके कारण मध्य प्रदेश जैसे लहसुन उत्पादक क्षेत्रों के किसान आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं।

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