रांची। झारखंड में 2024 का विधानसभा चुनाव चल रहा है। यह चुनाव दो चरणों में होना है। पहले चरण के चुनाव की वोटिंग बीते 13 नवंबर को की जा चुकी है। प्रथम चरण में कुल 43 सीटों पर वोटिंग हो चुकी है। वहीं दूसरे चरण की वोटिंग 20 नंवबर को होनी है। ऐसे में सभी पार्टियां जनता को विभिन्न तरह के चुनावी वादे करने में जुटी हुई है। भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनाने के लिए भाजपा के दिग्गज नेता और देश के प्रधानमंत्री अब तक कई बार झारखंड का दौरा कर चुके हैं। वहीं अन्य राज्यों के मुख्यमंत्री भी झारखंड में जाकर अपने सरकारों की उपलब्धियां रहे हैं।
हिन्दू धर्म के ब्रांड अम्बेस्डर माने जाने वाले भाजपा के बहुचर्चित नेता और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ झारखंड में चुनावी रैलियों को सम्बोधित कर रहे हैं। बीते 11 नवंबर को योगी आदित्यनाथ ने झारखंड के गढ़वा के भवनाथपुर में आयोजित एक जनसभा में झारखंड मुक्ति मोर्चा की सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था, 'सत्तारूढ़ गठबंधन ने राज्य को रोहंगियां और बांग्लादेशी घुसपैठियों की धर्मशाला में तब्दील कर दिया है।' इसके साथ ही उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा पर आरोप लगाते हुए कहा था कि, 'यह पार्टी प्राकृतिक सम्पदा को लूट रही है। मजदूर झारखंड से पलायन करने को मजबूर हैं। किसान आत्महत्या कर रहे हैं।'
किसानों की आत्महत्या का मुद्दा देश में बहुत ही चिंताजनक रहा है। लेकिन पूरे देश में सबसे ज्यादा आत्महत्या के मामले खुद भाजपा शासित प्रदेश से सामने आये हैं। महाराष्ट्र में भाजपा की सरकार है, जबकि किसानो की आत्महत्या के मामले में सबसे ज्यादा मौते महाराष्ट्र से ही सामने आई हैं।
वहीं आंकड़ों पर काम करने वाली संस्था स्टटिस्टा के मुताबिक़ पिछले दस वर्षो में लगभग एक लाख बारह हजार किसानो ने आत्महत्या की है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2022 में खेती किसानी से जुड़े लोगों की आत्महत्या से होने वाली मौतों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।
आंकड़ों के अनुसार 2021 से 3.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, इस दौरान 10,281 मौतें दर्ज की गई थीं। 2020 के आंकड़ों की तुलना में 5.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 2022 के आंकड़े बताते हैं कि देश में हर घंटे कम से कम एक किसान ने आत्महत्या की है। वहीं, 2019 से किसानों की आत्महत्या से होने वाली मौतों में बढ़ोतरी देखी जा रही है, जब NCRB डेटा में 10,281 मौतें दर्ज की गईं।
रिपोर्ट के मुताबिक खेती में लगे 11,290 व्यक्तियों में से आत्महत्या करने वालों में 53 प्रतिशत (6,083) खेतिहर मजदूर हैं। पिछले कुछ सालों में एक औसत कृषि परिवार की अपनी आय के लिए फसल उत्पादन के बजाय खेती से मिलने वाली मजदूरी पर निर्भरता बढ़ती जा रही है। साल 2022 में आत्महत्या करने वाले 5,207 किसानों में 4,999 पुरुष हैं। जबकि 208 महिलाएं भी शामिल हैं।
इन प्रदेशों में नहीं हुई आत्महत्या
महाराष्ट्र में 4,248, कर्नाटक में 2,392, आंध्र में 917 कृषि आत्महत्या के मामले दर्ज किए गए हैं। रिपोर्ट की मानें तो वेस्ट बंगाल, ओडिशा, बिहार, उत्तराखंड, गोवा, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, चंडीगढ़, लक्षद्वीप व पुदुचेरी में कृषि क्षेत्र से संबंधित कोई आत्महत्या दर्ज नहीं की गई है।
उत्तर प्रदेश में भी किसान कर रहे आत्महत्याएं
यूपी में भी किसानों की आत्महत्या का मामला खबरों में पढ़ने को मिल जाता है। 2020 के एनसीआरबी के उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार उस साल यूपी में कुल 87 किसानों ने आत्महत्या की थी। राज्य सभा में कृषि मंत्री के लिखित जवाब के अनुसार यूपी में 2017 से लेकर 2021 तक कुल 398 किसानों ने आत्महत्या की है। वर्ष 2017 में 110, 2018 में 80, 2019 में 108, 2020 में 87 और 2021 में (शुरू के कुछ महीनों तक) 13 किसानों ने आत्महत्या की है। लेकिन मुख्यमंत्री कहते हैं कि 2017 के बाद किसी किसान ने राज्य में आत्महत्या नहीं की है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के 2021की रिपोर्ट के मुताबिक देश में हर साल दस हजार से ज्यादा किसान आत्महत्या करते हैं। सात साल में यह आंकड़ा 75 हजार के पार जा चुका है। इससे पहले 2008 से 2014 के बीच करीब 95 हजार किसानों ने आत्महत्या की थी।
यूपी के हर किसान पर पचास हजार का कर्ज
यूपी के किसानों पर 155 लाख करोड़ का कर्ज एजेंसी ने बताया है। अगस्त 2023 में वित्त राज्य मंत्री ने एक आंकड़ा लोकसभा में पेश किया। उन्होंने यह आंकड़ा नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट यानी नाबार्ड का पेश किया। उस आंकड़े के अनुसार 21.42 लाख किसानों ने 64 हजार 694 करोड़ रुपये का लोन कमर्शियल बैंक से लिया है। इसके अलावा 50 हजार 635 किसानों ने 1130 करोड़ का लोन सहकारी बैंकों से लिया है। जबकि ग्रामीण बैंकों ने 2.99 लाख किसानों को 7849.46 करोड़ रुपये का लोन दिया है। रिपोर्ट के मुताबिक सबसे ज्यादा 1.47 लाख करोड़ का लोन राजस्थान के किसानों ने लिया है। लेकिन संस्थागत लोन सबसे अधिक पंजाब में है। इसके बाद गुजरात का नाम है जहां पर 2.28 लाख करोड़ का लोन है। उसके बाद हरियाणा और आंध्र प्रदेश का नंबर है जहां क्रमश: 2.11 लाख करोड़ और 1.72 लाख करोड़ का लोन है।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले की एक रिपोर्ट से पता चलता है कि किसानों का कर्ज पहली बार बढ़कर पांच हजार करोड़ से ज्यादा हो गया है। पिछले साल दिसंबर तक यह कर्ज 4890 करोड़ का था जो मार्च 23 तक ब़ढ़कर 5063 करोड़ तक पहुंच गया। यहां के किसानों पर 2008-9 में 1071 करोड़ का कर्ज था जो क्रमश बढ़ते हुए 2009-10 में 1296 करोड़, 2010-11 में 1454 करोड़, 2011-12 में 1842 करोड़, 2012-13 में 2010 करोड़, 2013-14 में 2874 करोड़, 2014-15 में 3250 करोड़, 2015-16 में 3840 करोड़, 2017-18 में 4300 करोड़, 2018-19 में मार्च तक 5063 करोड़ रुपये हो गया।
इसी तरह पिछले साल मेरठ से एक रिपोर्ट आई थी जिसमें बताया गया था कि यहां के किसानों पर 15 हजार 890 करोड़ का कर्ज है। यहां कृषि और कृषि संबंधी उपकरण और इन्फ्रास्ट्रक्चर आदि पर लोन लेने वाले किसानों की संख्या चार लाख 92 हजार 618 है। इन्होंने कुल 15 हजार 890 करोड़ रुपये का कर्ज ले रखा है। इस हिसाब से यहां के प्रत्येक व्यक्ति पर बैंक का कर्ज 3.22 लाख रुपये है।
इसी साल पंजाब के सांसद सुखबीर बादल द्वारा पूछे गए एक सवाल के जवाब में वित्त राज्य मंत्री भागतव कराडे ने बताया कि पूरे देश में प्रति कृषक परिवार पर औसतन 74 हजार 121 रुपये का कर्ज बकाया है। सबसे अधिक आंध्र प्रदेश के कृषि परिवारों पर 2,45 554 रुपये, केरल 2,42,482 रुपये, पंजाब 2,03,249 रुपये है। उत्तर प्रदेश के प्रति कृषक परिवार पर यह रकम 51 हजार 107 रुपये है। 2011 के आंकड़ों के मुताबिक देश में 26.31 करोड़ किसान थे जिसमें सबसे ज्यादा 3.89 करोड़ किसान यूपी में ही थे। हालांकि हाल के वर्षो में किसानों की संख्या तेजी से कम हुई है।
झारखंड सरकार ने किसानो का दो लाख तक कर्ज माफ़ किया
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने विधानसभा चुनाव से पहले किसानों पर दांव चलते हुए दिवाली से पहले बड़ा गिफ्ट दे दिया था। सीएम हेमंत सोरेन ने राज्य के किसानों का 2 लाख रुपये तक का कर्ज माफ कर दिया। रांची में एक रैली में हेमंत सोरेन ने कुछ किसानों को 2 लाख रुपये तक के कर्ज माफी के चेक भी बांटे। इससे झारखंड के 1 लाख 76 हजार 977 किसानों को फायदा होगा। इसके लिए 400.66 करोड़ रुपये खर्च होंगे।