MP में कृषि के लिए नहीं मिलेगी 10 घंटे से ज्यादा बिजली! विद्युत कंपनी के निर्देश समय से अधिक सप्लाई पर कटेगी कर्मचारियों की सैलरी

11:29 AM Nov 05, 2025 | Ankit Pachauri

भोपाल। मध्य प्रदेश में किसानों को कृषि कार्य के लिए रोज़ाना 10 घंटे बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने की व्यवस्था को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है। मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा जारी किए गए हालिया दिशा-निर्देशों में यह स्पष्ट कहा गया है कि 10 घंटे से अधिक बिजली आपूर्ति किए जाने पर संबंधित अधिकारियों का वेतन काटा जाएगा। कंपनी का कहना है कि यह निर्णय पहले से मौजूद प्रावधान की पुनरावृत्ति है, लेकिन कांग्रेस ने इसे किसानों और बिजली कर्मचारियों दोनों के खिलाफ दमनकारी आदेश बताते हुए सरकार पर तीखा हमला बोला है।

कांग्रेस ने साधा निशाना: “सरकार किसानों से वादा तो करती है, पर बिजली नहीं देती”

विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने सरकार पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि भाजपा सरकार किसानों के साथ छल कर रही है।

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नेता प्रतिपक्ष सिंघार ने कहा, “सरकार सरप्लस बिजली वाले राज्य होने का दावा करती है, लेकिन किसानों को पर्याप्त बिजली देने में नाकाम है। दिल्ली में मेट्रो चलाने के लिए बिजली दी जा रही है, पर हमारे किसानों को खेत सींचने के लिए बिजली नहीं मिल रही। यही इस सरकार का असली चेहरा है।”

कांग्रेस नेताओं का कहना है कि प्रदेश के अनेक जिलों में किसान लगातार बिजली कटौती से परेशान हैं। खेतों की सिंचाई बाधित हो रही है, जिससे फसलों पर विपरीत असर पड़ रहा है। ऐसे में बिजली विभाग के कर्मचारियों पर तनख्वाह काटने जैसे आदेश लागू करना गैर-जरूरी और अन्यायपूर्ण है।

सिंघार ने सवाल उठाया, “क्या प्रदेश में बिजली की कमी हो गई है? अगर नहीं, तो किसानों के फीडर पर बिजली सीमित क्यों की जा रही है? और अगर है, तो सरकार यह बताए कि बिजली उत्पादन और खरीद पर अरबों खर्च करने के बावजूद यह स्थिति क्यों है?”

कंपनी की सफाई: “सिर्फ सुरक्षा और अनुशासन बनाए रखने का उद्देश्य”

विवाद बढ़ने के बाद मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के प्रबंध संचालक क्षितिज सिंघल ने स्पष्टीकरण जारी किया। उन्होंने बताया कि कंपनी किसानों को निर्धारित 10 घंटे बिजली आपूर्ति के लिए पूर्णतः प्रतिबद्ध है, और किसी भी जिले में इस अवधि में कमी नहीं की गई है।

सिंघल ने कहा, “भोपाल, नर्मदापुरम, ग्वालियर और चंबल संभाग के 16 जिलों में कुल 9,92,171 किसानों को नियमित रूप से 10 घंटे बिजली दी जा रही है। वर्ष 2024-25 में कृषि उपभोक्ताओं को ₹6,465 करोड़ और 2025-26 में ₹2,535 करोड़ की सब्सिडी दी जा रही है। बिजली आपूर्ति की पात्रता और अवधि में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है।”

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि कुछ स्थानों पर असामाजिक तत्वों के दबाव में तय समय से अधिक बिजली देने की घटनाएं सामने आई थीं, जिससे दुर्घटनाओं और ट्रिपिंग की आशंका बढ़ जाती है। इसीलिए विभाग ने अधिकारियों को नियमों का पालन सुनिश्चित करने के लिए निर्देश दोहराए हैं।

कौन जिम्मेदार, किसका वेतन कटेगा?

नए दिशा-निर्देशों में यह तय किया गया है कि यदि कृषि फीडर पर 10 घंटे से अधिक बिजली आपूर्ति की जाती है, तो संबंधित कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।

प्रावधान के अनुसार:

यदि किसी माह में एक दिन अधिक आपूर्ति होती है तो संबंधित ऑपरेटर का एक दिन का वेतन काटा जाएगा।

दो दिन निरंतर अधिक आपूर्ति होने पर कनिष्ठ अभियंता (JE) का एक दिन का वेतन कटेगा।

पांच दिन निरंतर अधिक आपूर्ति पर उपमहाप्रबंधक (DGM) को दंडित किया जाएगा।

और यदि सात दिन तक निरंतर निर्धारित अवधि से अधिक बिजली दी गई, तो महाप्रबंधक (GM) का एक दिन का वेतन काटा जाएगा। कंपनी का कहना है कि यह कार्रवाई अनुशासन और बिजली वितरण व्यवस्था की पारदर्शिता बनाए रखने के लिए है।

बिजली कर्मियों पर मनमाने आदेश

उधर, कांग्रेस ने इस आदेश को “सरकार की असफल बिजली नीति” का परिणाम बताया। उमंग सिंघार ने कहा कि प्रदेशभर में हजारों किसान रोज बिजली कटौती से जूझ रहे हैं। ऐसे में बिजली कर्मचारियों को दोषी ठहराना गलत है।

उन्होंने कहा, “बिजली विभाग के कर्मचारी नियमों के अनुसार काम कर रहे हैं। लेकिन सरकार अपनी विफलता छिपाने के लिए कर्मचारियों पर मनमाने आदेश थोप रही है। यह किसानों और कर्मचारियों दोनों के खिलाफ दोहरा हमला है।”

पूर्व मंत्री अरुण यादव ने भी सवाल उठाया कि जब प्रदेश, “सरप्लस बिजली वाला राज्य घोषित किया जाता है, तो फिर फीडरों को सीमित अवधि में क्यों बांधा जा रहा है? उन्होंने कहा कि किसानों के लिए लगातार बिजली उपलब्ध कराना सरकार की प्राथमिक जिम्मेदारी है, न कि इसे सीमित कर देना।

किसान संगठनों ने भी जताई नाराजगी

प्रदेश के कई किसान संगठनों ने भी इस निर्देश का विरोध किया है। उनका कहना है कि खेती में सिंचाई का समय मौसम और फसल की प्रकृति के अनुसार बदलता रहता है, ऐसे में बिजली की आपूर्ति को कठोर रूप से 10 घंटे तक सीमित करना किसानों की जरूरतों के विपरीत है।

भारतीय किसान संघ के प्रांत संगठन मंत्री राहुल धूत ने द मूकनायक से बातचीत में कहा “कभी फसल को रात में पानी देना जरूरी होता है, कभी दिन में। सरकार को बिजली की उपलब्धता बढ़ाने की दिशा में काम करना चाहिए, न कि फीडर पर समय की पाबंदी लगानी चाहिए, ज्यादा बिजली वितरण में कर्मचारियों की तनख्वाह कटेगी लेकिन बिजली विभाग यह भी स्पष्ठ करें, की यदि बिजली की कमी से किसानों का नुकसान हुआ उसकी भरपाई कौन करेगा?”

उन्होंने आगे कहा, "की बिजली कंपनी ने यदि अपना यह तानाशाही फैसला नहीं बदला तो हम कंपनी के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे।"