हैदराबाद - हरियाणा कैडर के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी वाई. पूरन कुमार की आत्महत्या के मामले ने एक बार फिर सवालों पर विमर्श छेड़ दिया है। अधिकारी की पत्नी की शिकायत पर बात करते हुए पूर्व आईपीएस अधिकारी और भारत राष्ट्र समिति (BRS) के सदस्य डॉ. आरएस प्रवीण कुमार ने इसे 'दिल दहला देने वाला' मामला बताया है। उन्होंने इस घटना को दलित समुदाय के अधिकारियों के सामने व्याप्त जातिगत भेदभाव की 'गंभीर और शक्तिशाली याद' करार दिया।
52 वर्षीय पूरन कुमार मंगलवार को चंडीगढ़ स्थित अपने आवास पर मृत पाए गए थे। इस घटना ने पुलिस और प्रशासनिक महकमे में सनसनी फैला दी है। कुमार ने एक कथित सुसाइड नोट छोड़ा है जिसमें उन्होंने "जाति-आधारित भेदभाव, सार्वजनिक अपमान, टारगेट करके मानसिक उत्पीड़न और अत्याचार" का आरोप लगाते हुए हरियाणा पुलिस के नौ सेवारत आईपीएस, एक सेवानिवृत्त आईपीएस और तीन सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारियों को अपनी मौत का जिम्मेदार ठहराया है। गुरूवार को चड़ीगढ़ पुलिस ने सुसाइड नोट में नामित सभी व्यक्तियों के विरुद्ध FIR दर्ज की।
डॉ. प्रवीण कुमार ने कहा कि पूरन कुमार और उनके परिवार के साथ जीवित रहते हुए जो यातनापूर्ण व्यवहार और अन्याय हुआ, उसके लिए कोई भी सहानुभूति पर्याप्त नहीं होगी। उन्होंने लिखा, "यह घटना एक गंभीर याद दिलाती है कि कैसे जातिगत भेदभाव इस देश में उत्पीड़ित समुदायों के अधिकारियों के जीवन और करियर के हर पहलू में मौजूद है, चाहे संवैधानिक सुरक्षाएं कितनी भी क्यों न हों। भेदभाव एक अटल सच्चाई बन गया है, चाहे कोई अधिकारी कितना भी सक्षम क्यों न हो।"
उन्होंने यूनाइटेड आंध्र प्रदेश कैडर के कई ऐसे ही मामलों का हवाला देते हुए कहा कि शानदार ट्रैक रिकॉर्ड के बावजूद दलित अधिकारियों को न्याय और निष्पक्षता से वंचित रखा जाता है।
I have gone through the complaint of wife of slain senior IPS officer, Mr Puran Kumar of Haryana cadre. It’s really heartbreaking. No amount of empathy would be enough to feel the torture and injustice the officer and his family may have been subjected to while he was alive.… pic.twitter.com/IqAWwrv8cQ
— Dr.RS Praveen Kumar (@RSPraveenSwaero) October 9, 2025
CBI जांच और राजनीतिक हस्तक्षेप की अपील
डॉ. प्रवीण कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस मामले में हस्तक्षेप करने और स्वर्गीय पुरन कुमार की आत्महत्या की परिस्थितियों की जांच सीबीआई को सौंपने की गुजारिश की। उन्होंने कहा, "मैं उम्मीद करता हूं कि प्रधानमंत्री जी इस खुलेआम अन्याय पर गौर करेंगे और मामले की सीबीआई जांच का आदेश देंगे ताकि दोषियों को चाहे जितने शक्तिशाली क्यों न हों, सजा मिल सके।"
दलित समुदाय के युवाओं और पेशेवरों के नाम सलाह
अपने संदेश में डॉ. प्रवीण कुमार ने सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों में जातिगत भेदभाव का सामना कर रहे लोगों को एक जरूरी सलाह दी। उन्होंने कहा, "प्रणाम भाइयों और बहनों, सिस्टमिक अन्याय से लड़ते हुए कृपया अतिरेकी फैसले न लें। इस उत्पीड़न के खिलाफ युद्ध में अपनी जान देना हमारी प्रतिक्रिया कभी नहीं होनी चाहिए। हमारे पास परिवार, सहकर्मी और समुदाय हैं जो हमेशा हमारी ओर देखते हैं।"
उन्होंने संकट के समय का सामना करने के लिए कुछ सुझाव भी दिए:
परेशान महसूस हो तो समय निकालें और परिवार के साथ समय बिताएं।
अपने गांवों और शहरी झुग्गी-बस्तियों में जाएं, जहां से हम आए हैं।
युवा पीढ़ी से बात करें, अपनी यात्रा साझा करें।
बाबासाहेब डॉ. अम्बेडकर, आर्थर हेली और विक्टर फ्रेंकल जैसे लेखकों की किताबें पढ़ें।
उन्होंने कहा, "अगर आपका काम आपको प्रेरित नहीं करता, तो कृपया अपनी कीमती ऊर्जा वहां बर्बाद न करें। इसके बजाय सामाजिक न्याय के मिशन से जुड़ जाएं और अपने संस्थापक पिताओं के रास्ते पर चलें। जीवन एक ही है, लेकिन करने के लिए बहुत कुछ है।"