चेन्नई– तमिलनाडु के तिरुवल्लुर लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस सांसद शशिकांत सेंथिल भूख हडताल पर हैं। तबियत बिगड़ने के बाद अस्पताल में भर्ती होने के बावजूद सांसद अपनी जिद पर हैं।सेंथिल ने समग्र शिक्षा अभियान (SSA) के तहत तमिलनाडु के लिए 2,152 करोड़ रुपये की रुकी हुई धनराशि को तत्काल जारी करने की मांग को लेकर अपनी अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल को चौथे दिन भी जारी रखा। यह भूख हड़ताल 29 अगस्त को शुरू हुई थी और अब यह केंद्र सरकार और गैर-भाजपा शासित राज्यों के बीच शिक्षा निधि और नीतिगत विवादों को राष्ट्रीय चर्चा में ला रही है।
2019 में भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए शशिकांत सेंथिल ने "गहरे दुख और दृढ़ संकल्प" के साथ इस भूख हड़ताल की घोषणा की थी। उन्होंने केंद्र की भाजपा सरकार पर तमिलनाडु के 43 लाख छात्रों और 2.2 लाख शिक्षकों के भविष्य को खतरे में डालने का आरोप लगाया है। सेंथिल का दावा है कि केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 को लागू करने के लिए तमिलनाडु पर दबाव बनाने के लिए SSA निधि को रोक लिया है, जिसका तमिलनाडु की डीएमके सरकार ने विरोध किया है, क्योंकि इसे क्षेत्रीय शिक्षा प्रणालियों पर केंद्रीकरण और प्रतिकूल प्रभाव के रूप में देखा जाता है।
सेंथिल ने कहा, "केंद्र सरकार का यह कदम शिक्षा के अधिकार अधिनियम को कमजोर करता है, जिसे कांग्रेस सरकार ने लागू किया था। यह तमिलनाडु के बच्चों और शिक्षकों के साथ अन्याय है।" उन्होंने यह भी बताया कि केंद्र ने अनुसूचित जाति (SC) के लिए प्री-मैट्रिक अनुदान में 57%, ओबीसी के लिए 77%, और अल्पसंख्यकों के लिए 94% की कटौती की है, जिससे शिक्षा का आधार ही कमजोर हो रहा है।
29 अगस्त को शुरू हुई भूख हड़ताल के दूसरे दिन रक्तचाप बढ़ जाने से सेंथिल की तबीयत अचानक बिगड़ गई। उन्हें तिरुवल्लुर सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों ने उन्हें भूख हड़ताल खत्म करने की सलाह दी, लेकिन सेंथिल ने इनकार कर दिया और कहा कि वह तब तक हड़ताल जारी रखेंगे, जब तक निधि जारी नहीं हो जाती। 31 अगस्त को उन्हें बेहतर चिकित्सा देखभाल के लिए चेन्नई के राजीव गांधी सरकारी सामान्य अस्पताल में स्थानांतरित किया गया, जहां वह अभी भी निगरानी में हैं।
अस्पताल से जारी एक बयान में सेंथिल ने कहा, "मैं उचित चिकित्सा देखभाल में हूं और स्थिर हूं, लेकिन मेरी मांग स्पष्ट है - तमिलनाडु का SSA फंड तुरंत जारी होना चाहिए।" उन्होंने डॉक्टरों के बार-बार अनुरोध के बावजूद भूख हड़ताल जारी रखने का फैसला किया और कहा कि "बच्चों की शिक्षा के लिए धन रोकना एक अपराध है।"
सेंथिल की भूख हड़ताल को व्यापक समर्थन मिल रहा है। कांग्रेस महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल ने इसे "बच्चों के शिक्षा के अधिकार के लिए सच्ची लड़ाई" करार देते हुए पूर्ण समर्थन की घोषणा की। विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने व्यक्तिगत रूप से सेंथिल से बात की और उनकी मांगों का समर्थन किया। इसके अलावा, विरुधुनगर सांसद माणिकम टैगोर और कर्नाटक के जीएस कार्तिक जैसे अन्य कांग्रेस नेताओं ने भी केंद्र सरकार से निधि जारी करने की मांग की है, इसे संघवाद पर हमला बताया है।
इंडिया गठबंधन के सहयोगी दलों ने भी सेंथिल के समर्थन में आवाज उठाई है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) के राज्य सचिव आर मुथरासन और मनीथनेया मक्कल काची (MMK) के पदाधिकारियों ने अस्पताल में सेंथिल से मुलाकात की और उनके स्वास्थ्य की जानकारी ली। सोशल मीडिया पर #ReleaseSSAFunds और #StandWithSenthil जैसे अभियान तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं, जिसमें जनता और कार्यकर्ता सेंथिल के समर्थन में एकजुट हो रहे हैं।
SSA फण्ड और केंद्र-राज्य विवाद
समग्र शिक्षा अभियान (SSA) का उद्देश्य प्रारंभिक शिक्षा को सार्वभौमिक बनाना है, जिसमें स्कूलों के बुनियादी ढांचे, शिक्षक वेतन और समावेशी शिक्षा के लिए फंडिंग शामिल है। तमिलनाडु का हिस्सा NEP अनुपालन को लेकर विवाद के कारण रोका गया है। सेंथिल ने संसद में इस मुद्दे को कई बार उठाया और केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को पत्र लिखे, लेकिन उनकी मांगों को अनसुना कर दिया गया।
सेंथिल और तमिलनाडु सरकार का तर्क है कि NEP एक समान दृष्टिकोण थोपता है, जो स्थानीय जरूरतों के लिए हानिकारक है। केंद्र और तमिलनाडु के बीच यह तनाव केवल शिक्षा तक सीमित नहीं है; तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने भी केंद्र-राज्य संबंधों और राज्य स्वायत्तता की समीक्षा के लिए एक उच्च-स्तरीय समिति की घोषणा की है, जो इस मुद्दे को और गहरा करता है।
सेंथिल की भूख हड़ताल ने शिक्षा निधि, संघीय समानता और कल्याण योजनाओं के राजनीतिकरण पर बहस को तेज कर दिया है। समर्थक उम्मीद कर रहे हैं कि यह केंद्र सरकार पर दबाव बनाएगा, ताकि तमिलनाडु के स्कूलों को बिना किसी देरी के धनराशि मिल सके। सेंथिल ने जनता से अपील की है कि वे इस आंदोलन को केवल राजनीतिक नजरिए से न देखें, बल्कि इसे बच्चों के भविष्य की लड़ाई के रूप में समझें।
उन्होंने कहा, "यह तमिलनाडु के 43 लाख छात्रों और 2.2 लाख शिक्षकों के लिए है। मैं तब तक नहीं रुकूंगा, जब तक केंद्र सरकार इस अन्याय को ठीक नहीं करती।"