लखनऊ- उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा सरकारी स्कूलों में ग्रीष्मकालीन रामायण और वेद कार्यशालाओं को अनिवार्य करने का निर्णय विवादों के घेरे में आ गया है। अंतरराष्ट्रीय रामायण एवं वैदिक शोध संस्थान, अयोध्या के तत्वावधान में आयोजित होने वाली इन कार्यशालाओं में रामलीला, रामचरितमानस गान, वेदगान, चित्रकला, और मुखौटा निर्माण जैसे कार्यक्रम शामिल हैं। हालांकि, इस फैसले पर भीम आर्मी चीफ और सांसद चंद्रशेखर आजाद ने तीखी प्रतिक्रिया दी है, इसे संविधान की मूल भावना का उल्लंघन और सामाजिक विविधता पर प्रहार बताया है।
चंद्रशेखर ने अपने बयान में कहा कि यह निर्णय शिक्षा के नाम पर धार्मिक ध्रुवीकरण की साजिश है। परम पूज्य बाबा साहेब अंबेडकर द्वारा निर्मित संविधान ने हमें धर्मनिरपेक्षता, समानता और वैज्ञानिक सोच की राह दिखाई थी। आज उसी राह को छोड़कर योगी सरकार शिक्षा को बहुसंख्यकवाद की प्रयोगशाला बना रही है।
उन्होंने जोर देकर कहा कि संविधान का अनुच्छेद 28 स्पष्ट रूप से कहता है कि राज्य-वित्तपोषित स्कूलों में धार्मिक शिक्षा नहीं दी जा सकती और न ही किसी छात्र को धार्मिक गतिविधियों में भाग लेने के लिए बाध्य किया जा सकता है। उन्होंने इसे “संविधान की हत्या” करार देते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से जवाब मांगा है कि “शिक्षा के नाम पर एक धर्म थोपने की साजिश क्या नहीं है?”

संस्कृति विभाग, उत्तर प्रदेश के निर्देशक संतोष कुमार शर्मा (आईएएस) द्वारा जारी पत्र के अनुसार, यह कार्यशालाएं प्रदेश के सभी 75 जनपदों में 5 से 10 दिनों तक आयोजित की जाएंगी। इनमें रामायण आधारित कला, संगीत, और सामान्य ज्ञान से जुड़े सत्र शामिल होंगे। पत्र में स्कूलों से समन्वयकों के साथ प्रबंधकीय सहयोग प्रदान करने का अनुरोध किया गया है। आयोजन का उद्देश्य बच्चों में “संस्कृति के संस्कार” और कला के प्रति रुचि विकसित करना बताया गया है।
सांसद चंद्रशेखर ने तर्क दिया कि उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूलों में दलित, मुस्लिम, बौद्ध, सिख, ईसाई, और आदिवासी पृष्ठभूमि के बच्चे एक साथ पढ़ते हैं। ऐसे में, एक धर्म विशेष पर आधारित कार्यशालाएं न केवल भेदभावपूर्ण हैं, बल्कि बच्चों की धार्मिक स्वतंत्रता और संवैधानिक अधिकारों का हनन भी करती हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि यदि कार्यशालाएं आयोजित की जानी हैं, तो वे संविधान, मौलिक अधिकारों, वैज्ञानिक सोच, और सामाजिक न्याय जैसे विषयों पर आधारित होनी चाहिए।
चंद्रशेखर ने कहा," भीम आर्मी, आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) का स्पष्ट मत है कि अगर किसी विषय पर कार्यशालाएं होनी ही हैं, तो वे संविधान, मौलिक अधिकारों, वैज्ञानिक सोच, सामाजिक न्याय, और नागरिक जिम्मेदारियों पर आधारित हों। बच्चों को आत्म-सशक्तिकरण, समानता, और कानूनी अधिकारों की जानकारी दी जाए। उन्हें अनुच्छेद 51(A) के अनुसार तर्कशील, वैज्ञानिक व मानवतावादी दृष्टिकोण विकसित करने की प्रेरणा दी जाए। यदि धार्मिक या सांस्कृतिक विषय शामिल किए भी जाएं, तो उसमें ‘सर्वधर्म समभाव’ हो और बच्चे की पसंद व धार्मिक स्वतंत्रता का पूर्ण सम्मान किया जाए। शिक्षा का उद्देश्य धर्म प्रचार नहीं, विवेकशील नागरिकों का निर्माण होना चाहिए। यही भारत की आत्मा है, यही संविधान की पुकार है।"