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तेलंगाना में आईएएस अधिकारी के वायरल ऑडियो से हंगामा: प्रिंसिपलों को कहा छात्रों से टॉयलेट साफ करवाएं — "ये पॉश परिवारों से नहीं हैं, जहां चुटकी बजाते ही खाना आ जाए!"

हैदराबाद- तेलंगाना में सामाजिक कल्याण आवासीय शैक्षणिक संस्थान सोसाइटी (Telangana Social Welfare Residential Educational Institutions Society TGSWREIS) की एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी डॉ. वी.एस. अलुगु वर्शिनी के एक कथित ऑडियो ने राज्य में तूफान खड़ा कर दिया है। 28 मई 2025 को सोशल मीडिया पर वायरल हुए इस ऑडियो में 2012 बैच की इस आईएएस अधिकारी को सामाजिक कल्याण के आवासीय स्कूलों के प्रिंसिपलों को यह निर्देश देते सुना गया कि वे छात्रों को टॉयलेट साफ करने और हॉस्टल के कमरे की सफाई जैसे कामों में शामिल करें। इस ऑडियो ने न केवल सामाजिक और राजनीतिक हलकों में हंगामा मचा दिया है, बल्कि जातिगत भेदभाव, बाल अधिकारों और गुरुकुल प्रणाली की गरिमा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

ऑडियो में क्या है?

वायरल ऑडियो कथित तौर पर हाल ही में हुई एक समीक्षा बैठक का है, जिसमें डॉ. वर्शिनी ने प्रिंसिपलों को निर्देश देते हुए कहा कि छात्रों को झाड़ू लगाना, खाना बनाना, ब्लैकबोर्ड साफ करना और टॉयलेट धोना जैसे काम करने चाहिए। उन्होंने इसे राज्य सरकार के "होलिस्टिक एजुकेशन" मॉडल का हिस्सा बताया। ऑडियो में उनकी आवाज़ में यह कहते हुए सुना गया, "अगर कोई माता-पिता आपत्ति जताता है, तो कह दीजिए कि यह मेरा आदेश है।" उन्होंने तर्क दिया कि ज्यादातर छात्र हाशिए पर रहने वाले समुदायों से आते हैं और "ऐसी पॉश फैमिली से नहीं हैं, जहां चुटकी बजाने से खाना टेबल पर आ जाए।"

उन्होंने कहा कि ये काम छात्रों को ज़रूरी जीवन कौशल सिखाते हैं और छह महीने में अधिकतम 20 घंटे ही इन कामों में खर्च होंगे, जिसे उन्होंने "कठिन श्रम" नहीं माना। ऑडियो में डॉ. वर्शिनी ने अपनी स्कूली शिक्षा का हवाला देते हुए कहा कि उन्होंने भी ऐसे काम किए थे, जिन्हें वे श्रम दान कहती हैं। उन्होंने एक उदाहरण भी दिया, जहां एक छात्र को रोटी बनाने को कहा गया और पूछा, "इसमें क्या गलत है?" उन्होंने प्रिंसिपलों को ऐसे काम करने वाले छात्रों की तस्वीरें ग्रुप में साझा करने के लिए प्रोत्साहित किया ताकि दूसरों को प्रेरणा मिले। साथ ही, उन्होंने चेतावनी दी कि अगर माता-पिता स्कूल स्टाफ को धमकी देंगे, तो उनके बच्चों को शो-कॉज़ नोटिस जारी कर स्कूल से निकाल दिया जाएगा।

सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रिया

ऑडियो के वायरल होने के बाद सोशल मीडिया, खासकर X पर, लोगों ने तीखी प्रतिक्रिया दी। कई यूज़र्स ने डॉ. वर्शिनी के बयानों को "जातिवादी" और "मनुवादी मानसिकता" वाला बताया।

बाल अधिकार कार्यकर्ताओं ने इसे राइट ऑफ चिल्ड्रन टू फ्री एंड कंपलसरी एजुकेशन एक्ट, 2009 का उल्लंघन बताया और कहा कि टॉयलेट साफ करना जैसे काम बच्चों पर थोपना उनकी गरिमा के खिलाफ है और जातिगत भेदभाव को बढ़ावा देता है।

विपक्षी भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) ने इस मामले को जोरदार तरीके से उठाया। बीआरएस की एमएलसी के. कविता ने डॉ. वर्शिनी के बयानों को "गरीब-विरोधी" और "शोषणकारी" करार दिया। उन्होंने कहा कि बीआरएस सरकार के दौरान हर कल्याणकारी स्कूल को साफ-सफाई के लिए चार अस्थायी कर्मचारियों को नियुक्त करने के लिए 40,000 रुपये प्रति माह दिए जाते थे, लेकिन कांग्रेस सरकार ने अगस्त 2024 से यह फंडिंग बंद कर दी। कविता ने बताया कि 240 स्कूलों से सहायक केयरटेकर हटा दिए गए, जिसके बाद छात्रों को रसोई और सफाई का काम करना पड़ रहा है। उन्होंने मांग की कि डॉ. वर्शिनी को तत्काल उनके पद से हटाया जाए और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।

पूर्व आईपीएस अधिकारी और TGSWREIS के पूर्व सचिव डॉ. आर.एस. प्रवीण कुमार, जिन्होंने सामाजिक कल्याण स्कूलों को उत्कृष्टता के केंद्र में बदलने का श्रेय प्राप्त किया है, ने भी इस मामले में कड़ा रुख अपनाया। X पर एक पोस्ट में उन्होंने मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी से सवाल किया कि क्या यह निर्देश उनकी सहमति से दिया गया है। उन्होंने डॉ. वर्शिनी पर दलित छात्रों का आत्मसम्मान तोड़ने का आरोप लगाया और व्यंग्यात्मक रूप से कहा कि रेड्डी को कॉरपोरेट स्कूलों में भी यही प्रथा लागू करनी चाहिए और मुख्यमंत्री और समाज कल्याण मंत्री के तौर पर, अमीर वर्गों के प्रतिनिधि के तौर पर, उन्हें भी आज से ही अपना शौचालय साफ करना चाहिए, अपने मंत्रियों और अधिकारियों से धुलवाना चाहिए, अपना गंदा भवन अपने सहयोगियों से धुलवाना चाहिए और उन फोटो और वीडियो को तेलंगाना के लोगों के साथ हर रोज शेयर करें। उन्होंने सफाई कर्मियों से भी अपील की कि वे रेवंत रेड्डी के बंगले पर जाना बंद कर दें।

यह विवाद कांग्रेस सरकार के लिए एक बड़ा सवाल बन गया है, खासकर फरवरी 2025 में हुए जाति सर्वेक्षण के बाद जिसमें बताया गया कि तेलंगाना की आबादी का 17.43% हिस्सा अनुसूचित जातियों (SC) का है। मंत्रिमंडल में प्रमुख दलित नेताओं, जैसे मल्लू भट्टी विक्रमार्का और दामोदर राजा नरसिम्हा की चुप्पी पर भी सवाल उठ रहे हैं। यह मामला कांग्रेस की राष्ट्रीय नेतृत्व की छवि को भी प्रभावित कर रहा है, खासकर जब राहुल गांधी मानव गरिमा की पैरवी करते हैं और मल्लिकार्जुन खड़गे एक दलित नेता के रूप में AICC अध्यक्ष हैं।

तेलंगाना में चल रहे 268 वेलफेयर स्कूल

तेलंगाना समाज कल्याण आवासीय शैक्षणिक संस्थान सोसाइटी (TGSWREIS) तेलंगाना सरकार के अनुसूचित जाति विकास मंत्रालय के अधीन तेलंगाना राज्य में 268 आवासीय शैक्षणिक संस्थान (5वीं कक्षा से स्नातक स्तर तक) चला रही है। सोसाइटी अन्य सुविधा प्राप्त बच्चों के समान जरूरतमंद और वंचित बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के नेक उद्देश्य से काम कर रही है।

TGSWREIS तेलंगाना के दूरदराज के ग्रामीण इलाकों से आने वाले हाशिए पर पड़े बच्चों खासकर अनुसूचित जाति (SC) के बच्चों की सख्त शैक्षिक जरूरतों को पूरा कर रही है। पिछले तीन दशकों से सोसाइटी गौरव के पथ पर आगे बढ़ रही है और यह गहराई सोसाइटी के शिक्षा, खेल, पर्वतारोहण, संचार कौशल आदि में उत्कृष्टता के रूप में परिलक्षित होती है। बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के अलावा, सोसाइटी एक ऐसा वातावरण बनाने के लिए दृढ़ प्रयास कर रही है टीजीएसडब्लूआरईआईएस जो पहले एपीएसडब्ल्यूआरईआई सोसायटी का हिस्सा था, जून 2014 में एक स्वतंत्र इकाई के रूप में उभरा। इसका विजन एक उत्कृष्ट सरकारी शैक्षणिक संस्थान का निर्माण करना है जो अन्य सुविधा प्राप्त बच्चों के समान हाशिए पर पड़े बच्चों को उच्च गुणवत्ता वाली समग्र और मूल्य आधारित शिक्षा प्रदान करता है।

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