+

MP के डॉ. गौर सेंट्रल यूनिवर्सिटी को बार काउंसिल की मान्यता नहीं! छात्रों ने मांग को लेकर किया प्रदर्शन

भोपाल। डॉ. हरी सिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय, सागर के विधि विभाग के विद्यार्थियों ने सोमवार को प्रशासनिक भवन के सामने जोरदार प्रदर्शन किया। विधि विभाग को बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) से मान्यता न मिलने के कारण छात्र-छात्राओं में आक्रोश है। विद्यार्थियों का कहना है कि पढ़ाई पूरी करने के बाद भी उनका भविष्य अधर में लटका हुआ है।

सोमवार सुबह विधि विभाग के विद्यार्थी विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन के गेट पर जमा हुए। उन्होंने नारेबाजी करते हुए कुलपति से मिलने और ज्ञापन सौंपने की मांग की। हालांकि, उन्हें प्रशासनिक भवन के अंदर जाने से रोक दिया गया। इस कार्रवाई से नाराज विद्यार्थियों ने वहीं धरना देकर बैठने का निर्णय लिया।

छात्रों ने कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता के नाम ज्ञापन सौंपा और समस्या के शीघ्र समाधान की मांग की। उन्होंने 15 दिनों के भीतर बार काउंसिल ऑफ इंडिया से मान्यता की प्रक्रिया पूरी करने की मांग की।

बार काउंसिल ऑफ इंडिया की मान्यता क्यों है आवश्यक?

डॉ. हरी सिंह गौर सेंट्रल यूनिवर्सिटी का विधि विभाग पिछले कई वर्षों से मान्यता की समस्या का सामना कर रहा है। छात्रों ने बताया कि BCI की मान्यता न होने के कारण:

1. आगे की पढ़ाई में बाधा: उच्च शिक्षा के लिए नामांकन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

2. इंटर्नशिप के अवसरों की कमी: विधि क्षेत्र में व्यावहारिक अनुभव के लिए जरूरी इंटर्नशिप पाने में दिक्कतें आती हैं।

3. रोजगार में बाधा: विधि स्नातकों को सरकारी और निजी क्षेत्र में नौकरी पाने में कठिनाई होती है।

4. प्रतियोगी परीक्षाओं में समस्या: न्यायिक सेवा और अन्य कानूनी परीक्षाओं के लिए पात्रता प्रमाणपत्र प्राप्त करना कठिन हो जाता है।

छात्रों की मांगे

प्रदर्शनकारी छात्रों ने कहा कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया से मान्यता प्राप्त करने की प्रक्रिया को 15 दिनों के भीतर पूरा किया जाए। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं होती हैं, तो विधि विभाग के छात्र व्यापक आंदोलन करेंगे।

विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्रों की मांगों पर अब तक कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं दी है। कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता से मिलने की कोशिश भी छात्रों की असफल रही। विश्वविद्यालय की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, जिससे छात्रों में असंतोष और बढ़ गया है।

लॉ के छात्र आनंद पाठक ने द मूकनायक को बताया कि उनके विश्वविद्यालय को बार काउंसिल से मान्यता नहीं मिली है, जिससे छात्रों को न केवल इंटर्नशिप के अवसरों से वंचित रहना पड़ रहा है, बल्कि कानूनी पेशे में आगे बढ़ने में भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने इसे करियर के लिए बड़ी बाधा बताते हुए कहा कि प्रतियोगी परीक्षाओं में भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।

आनंद ने कहा कि "विश्वविद्यालय प्रशासन को इस समस्या को प्राथमिकता के साथ हल करना चाहिए। छात्रों का भविष्य इस मान्यता पर निर्भर करता है, और बिना मान्यता के वे अन्य विश्वविद्यालयों के छात्रों के साथ प्रतिस्पर्धा करने में पीछे रह जाते हैं। उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन से त्वरित कार्रवाई की मांग की।

कानूनी शिक्षा के विशेषज्ञों का कहना है कि BCI की मान्यता के बिना विधि स्नातक की डिग्री अधूरी मानी जाती है। छात्रों का यह प्रदर्शन उनके भविष्य की रक्षा के लिए जरूरी कदम है। विशेषज्ञों ने यह भी सुझाव दिया कि विश्वविद्यालय प्रशासन को जल्द से जल्द इस मुद्दे का समाधान निकालना चाहिए ताकि छात्रों का समय और मेहनत बर्बाद न हो।

Trending :
facebook twitter