भोपाल। मध्य प्रदेश में नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता से जुड़े बहुचर्चित घोटाले में सीबीआई ने अपनी दूसरी जांच रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश की है। पूर्व की रिपोर्ट में कई कॉलेजों को 'उपयुक्त' श्रेणी में शामिल किया गया था, लेकिन इस बार की जांच में इनमें से कुछ कॉलेजों की स्थिति संदिग्ध पाई गई है। यह मामला तब सामने आया जब सीबीआई इंस्पेक्टर राहुल राज समेत अन्य अधिकारियों पर निरीक्षण के दौरान रिश्वत लेने के आरोप लगे थे, जिसके बाद हाईकोर्ट ने नए सिरे से जांच के आदेश दिए थे।
पहली जांच रिपोर्ट में कॉलेजों की स्थिति
सीबीआई द्वारा मई 2023 में की गई शुरुआती जांच में 308 नर्सिंग कॉलेजों की समीक्षा की गई थी। इस जांच में 169 कॉलेजों को 'उपयुक्त' तथा 73 कॉलेजों को 'अपर्याप्त' (डेफिशिएंट) घोषित किया गया था। इस रिपोर्ट के आधार पर कुछ कॉलेजों को मान्यता की प्रक्रिया में आगे बढ़ाया गया था, लेकिन रिश्वत के आरोपों ने इस प्रक्रिया पर सवाल खड़े कर दिए, जिसके चलते सीबीआई को पुनः जांच के आदेश दिए गए।
नई जांच के दिए थे आदेश
जांच के दौरान सीबीआई अधिकारियों द्वारा रिश्वत लेने का मामला उजागर होने पर हाईकोर्ट ने पूरे मामले की नई जांच के निर्देश दिए थे। हाईकोर्ट ने सीबीआई को कॉलेजों के निरीक्षण में पारदर्शिता बनाए रखने के साथ निष्पक्ष जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए थे। अब नई रिपोर्ट के आधार पर ही प्रदेश के नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता का नवीनीकरण किया जाएगा।
नर्सिंग सत्र 2024-25 में प्रवेश प्रक्रिया
घोटाले के कारण शैक्षणिक सत्र 2023-24 को जीरो ईयर घोषित कर दिया गया था। लेकिन नए सत्र 2024-25 के लिए नर्सिंग कॉलेजों में प्रवेश की प्रक्रिया 30 नवंबर तक पूरी की जाएगी। मान्यता प्राप्त कॉलेजों में जीएनएम, बीएससी नर्सिंग समेत विभिन्न पाठ्यक्रमों में प्रवेश दिया जाएगा, और इस बार प्रशासन यह सुनिश्चित करेगा कि प्रवेश प्रक्रिया में कॉलेजों की स्वीकृत क्षमता से अधिक संख्या में प्रवेश न हो।
नर्सिंग कॉलेजों को भारतीय नर्सिंग परिषद (आईएनसी) द्वारा तय किए गए दिशा-निर्देशों का सख्ती से पालन करना होगा। सभी पाठ्यक्रमों के संचालन में समय सीमा और उपस्थिति अनिवार्यता पर भी ध्यान रखा जाएगा। बीएससी नर्सिंग के लिए सेमेस्टर प्रणाली का पालन आवश्यक होगा। छात्रों को परीक्षाओं में शामिल होने के लिए 80% उपस्थिति की आवश्यकता होगी, वहीं प्रायोगिक क्षेत्रों में 100% उपस्थिति सुनिश्चित करना अनिवार्य होगा। जीएनएम और एएनएम पाठ्यक्रमों के छात्रों के लिए भी 80% उपस्थिति अनिवार्य की गई है।
जानिए क्या है नर्सिंग घोटाला?
साल 2020-21 में कोरोना काल के दौरान कुछ अस्पताल खोले गए थे। इसी की आड़ में कई नर्सिंग कॉलेज भी खोल दिए गए थे। कॉलेज खोलने के लिए मेडिकल यूनिवर्सिटी और चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा बनाए नियमों के मुताबिक नर्सिंग कॉलेज खोलने के लिए 40 हजार स्क्वेयर फीट जमीन का होना जरूरी होता है। साथ ही 100 बिस्तर का अस्प्ताल भी होना आवश्यक है। इसके बाबजूद प्रदेश में दर्जनों ऐसे नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता दी गई, जो इन नियमों के अंर्तगत नहीं थे। इसके बाद भी इन्हें मान्यता दे दी गई।
याचिकाकर्ता और जबलपुर हाई कोर्ट में वकील विशाल बघेल ने ऐसे कई कॉलेज की तस्वीरें और जानकारी कोर्ट को सौंपी थी। इसमें बताया कि कैसे कॉलेज के नाम पर घोटाला चल रहा है। हाई कोर्ट ने इस मामले को देखते हुए नर्सिंग कॉलेज में होने वाली परीक्षाओं पर रोक लगा दी थी।