— ✍️ Jaywant Bherviya
चित्तौड़गढ़- एक युवा की शिक्षा और सपनों के साथ खिलवाड़ करने का मामला सामने आया है, जहाँ इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) की लापरवाही और कथित "बदले की कार्रवाई" ने एक होनहार छात्र का भविष्य अधर में लटका दिया है। राजस्थान के चित्तौड़गढ़ निवासी रत्नेश पितलिया, जिन्होंने अपनी दुकान का सामान बेचकर पढ़ाई की और LLB की डिग्री हासिल की, आज इग्नू द्वारा जानबूझकर की गई गलतियों के कारण प्रधानमंत्री से इच्छामृत्यु की अनुमति मांग रहे हैं।
रत्नेश पितलिया ने जून 2019 में इग्नू से BA की डिग्री पूरी की। इस दौरान उन्हें आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा और उन्होंने अपनी दुकान का सारा सामान तक बेच डाला। BA पूरी करने के बाद, उन्होंने इग्नू से प्राप्त माइग्रेशन प्रमाण पत्र (26 सितंबर, 2019) के आधार पर उदयपुर की जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ से 2022 में LLB की डिग्री हासिल कर ली।
रत्नेश का कहना है कि LLB पूरा करने के बाद भी इग्नू ने उन्हें BA की original मार्कशीट जारी नहीं की। लगातार अनुरोध के बावजूद कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकला। मार्च 2023 में, हताश होकर उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक पत्र लिखकर शिकायत दर्ज कराई।
'बदले की कार्रवाई'? 2019 की डिग्री 2022 में दिखाई गई
राष्ट्रपति कार्यालय द्वारा हस्तक्षेप के बाद, इग्नू ने जून 2023 में रत्नेश को मार्कशीट और प्रोविजनल सर्टिफिकेट भेजा। लेकिन हैरानी की बात यह थी कि इसमें BA की डिग्री जून 2022 में पूरी होना दर्शाया गया था। इसका मतलब यह हुआ कि LLB की पढ़ाई (जो 2022 में पूरी हुई) के दौरान ही उनकी BA की डिग्री पूर्ण हुई, जो कि तथ्यात्मक रूप से गलत था और उनकी LLB डिग्री को अमान्य कर सकता था।
रत्नेश ने इस गलती को सुधारने के लिए इग्नू के चित्तौड़गढ़ केंद्र से संपर्क किया। उन्हें बार-बार आश्वासन दिया गया, लेकिन संशोधित मार्कशीट नहीं दी गई। जून 2025 में, चित्तौड़गढ़ केंद्र के एक कर्मचारी ने उनसे कथित तौर पर कहा, "तुमने राष्ट्रपति को हमारी शिकायत की थी, इसलिए सजा तो भुगतनी पड़ेगी। जाओ, मोदी जी को शिकायत कर लो। हमारा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता। इग्नू से कोई नहीं जीत सकता।" रत्नेश के अनुसार, उस कर्मचारी ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के लिए अभद्र भाषा का भी इस्तेमाल किया।
इस पूरे प्रकरण से टूट चुके रत्नेश ने 24 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक रजिस्टर्ड पत्र भेजा है। इसमें उन्होंने:
इग्नू के दोषी अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की है।
अपने "चकनाचूर" भविष्य और टूटे सपनों का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री से आशीर्वाद लेकर इच्छामृत्यु/आत्महत्या की स्वीकृति मांगी है।
यह सुनिश्चित करने की मांग की है कि भविष्य में किसी और छात्र के साथ ऐसा न हो। उनकी मांग है कि इग्नू को 15 दिनों के भीतर मार्कशीट जारी करना अनिवार्य होना चाहिए।
अपनी BA की संशोधित मार्कशीट जारी करने, अपने संघर्ष पर एक लघु फिल्म बनाने और PMO पोर्टल पर उनकी पूरी शिकायत अपलोड करने का अनुरोध किया है।
रत्नेश की शिकायत PMO पोर्टल पर PMOPG/D/2025/0183564 नंबर से दर्ज है, लेकिन बाद में इसे राजस्थान संपर्क पोर्टल (नंबर: 102503524438250) पर ट्रांसफर कर दिया गया। रत्नेश का तर्क है कि चूंकि इग्नू एक केंद्रीय विश्वविद्यालय है, इसलिए राजस्थान सरकार के पास इसके खिलाफ कार्रवाई का अधिकार क्षेत्र नहीं है। उनकी मांग है कि PMO इस मामले को वापस अपने स्तर पर ले और न्याय सुनिश्चित करे।
देश की न्याय व्यवस्था में विश्वास रखने वाले एक LLB ग्रेजुएट का प्रधानमंत्री से इच्छामृत्यु मांगना, व्यवस्था पर एक गंभीर सवाल खड़ा करता है।
- लेखक एक स्वतंत्र पत्रकार और आरटीआई एक्टिविस्ट हैं।