दलित युवा अजय कसबे को मिला TISS में प्रवेश

12:00 PM Aug 03, 2025 | The Mooknayak

परभणी– डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर कहते हैं, “शिक्षा शेरनी का दूध है, जो इसे पिएगा वह दहाड़े बिना नहीं रहेगा।” इसी प्रेरणा को लेकर संघर्ष करने वाले महाराष्ट्र के परभणी ज़िले के पाथरी तालुका स्थित कानसुर गांव के अजय कसबे ने कड़ी मेहनत के बलबूते टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान (TISS) में मीडिया और सांस्कृतिक अध्ययन विषय के लिए प्रवेश पाया है। इससे पहले, वह हैदराबाद विश्वविद्यालय की प्रवेश प्रक्रिया में भी सफलता प्राप्त कर चुके हैं।

अजय ने डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर मराठवाड़ा विश्वविद्यालय से स्नातक शिक्षा पूरी की है और शिक्षा के साथ-साथ विभिन्न आंबेडकरी आंदोलनों में भी सक्रिय योगदान दिया है। उसका संघर्ष केवल शैक्षणिक सफलता तक सीमित नहीं रहा, बल्कि सामाजिक परिवर्तन के लिए भी निरंतर जारी रहा है। पत्रकारिता के क्षेत्र में ‘द मूकनायक’ से काम की शुरुआत की थी और बाद में ‘मैक्स वुमन’, ‘मैक्स महाराष्ट्र’ जैसे मराठी यूट्यूब चैनलों और मीडिया संस्थानों में बतौर पत्रकार काम किया है।

मातंग समाज में जन्म लेने वाले अजय के लिए यह सफर बिल्कुल भी आसान नहीं था। घर की आर्थिक स्थिति खराब थी, सामाजिक असमानता और जातीय अपमान जैसे अनेक कठिनाइयों का सामना करते हुए उसने कभी शिक्षा का मार्ग नहीं छोड़ा। दृढ़ इच्छाशक्ति और मेहनत के बलबूते उसने यह मुकाम हासिल किया। बाबासाहेब का विचार – “दलितों और वंचितों को उच्च शिक्षा प्राप्त करनी चाहिए और समाज में प्रभावशाली स्थानों पर पहुंचना चाहिए,” यही उसके जीवन का मूल उद्देश्य बना रहा।

अजय की इस सफलता ने अनेक संघर्षशील विद्यार्थियों को नई प्रेरणा दी है। डॉ. आंबेडकर के विचारों को व्यवहार में लाते हुए अजय ने यह साबित कर दिखाया कि दृढ़ निश्चय और शिक्षा की ताकत से कोई भी ऊँचाई हासिल की जा सकती है।