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MP के माखनलाल पत्रकारिता यूनिवर्सिटी गेस्ट टीचर की नियुक्ति पर विवाद: आरक्षण नियमों की अनदेखी और पक्षपात के आरोप!

भोपाल। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय (एमसीयू) में अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। हालांकि यह कोई पहली बार नहीं है जब आरक्षण औऱ जातिगत भेदभाव के आरोप यहां के प्रोफेसरों पर लग रहे हों, पहले भी ऐसे मामले सामने आते रहे हैं। अब आरोप है की इलेक्ट्रॉनिक मीडिया विभाग के अतिथि शिक्षक डॉ. अभिषेक यादव ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर न केवल मध्यप्रदेश शासन के आरक्षण नियमों की अनदेखी करने की शिकायत के साथ विभागाध्यक्ष पर भी पक्षपात और अपमानजनक व्यवहार करने के गंभीर आरोप लगाए हैं।

डॉ. यादव के अनुसार, विश्वविद्यालय द्वारा निकाले गए विज्ञापन में ओबीसी, एससी, एसटी और मध्यप्रदेश के मूल निवासियों के लिए निर्धारित आरक्षित सीटों का पालन नहीं किया गया। उनका दावा है कि चयन सूची में लगभग 80% उम्मीदवार अन्य राज्यों से हैं और अधिकतर सामान्य वर्ग से हैं, जिससे स्थानीय और आरक्षित वर्ग के योग्य उम्मीदवारों को अवसर नहीं मिला।

चयन के बाद भी नहीं मिला पढ़ाने का मौका

द मूकनायक से बातचीत में डॉ. अभिषेक यादव ने बताया कि चयनित होने के बावजूद उन्हें एक भी लेक्चर नहीं दिया गया, जबकि अन्य राज्यों से आए शिक्षकों को चार-चार लेक्चर आवंटित किए गए। उनका कहना है कि विभाग में कुछ ऐसे लोगों को भी पढ़ाने का अवसर दिया गया है जिनके पास न तो मीडिया इंडस्ट्री का अनुभव है, न ही नेट योग्यता या पीएचडी की डिग्री!

विभागाध्यक्ष पर पक्षपात के आरोप

डॉ. यादव ने विभागाध्यक्ष डॉ. मोनिका वर्मा पर आरोप लगाया कि वह हिमाचल प्रदेश की मूल निवासी हैं और बाहरी राज्यों से आए उम्मीदवारों को प्राथमिकता देती हैं। उन्होंने कहा कि डॉ. वर्मा का रवैया अक्सर असभ्य रहता है और जो उनके ‘पसंदीदा’ नहीं होते, उनके साथ अपमानजनक व्यवहार किया जाता है।

डॉ. यादव का आरोप है कि, उन्हें कई बार विभाग में बुलाकर दो-दो घंटे तक कक्ष के बाहर खड़ा रखा गया। लंच का समय एक घंटा होने के बावजूद, विभागाध्यक्ष अन्य विभागों के शिक्षकों के साथ दो-दो घंटे लंच में व्यस्त रहती थीं। एक मौके पर उन्हें एक अन्य शिक्षक के सामने अपमानित कर विभाग से बाहर निकाल दिया गया। इसके अलावा, उनका कहना है कि डॉ. मोनिका वर्मा के पास इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का विशेष अनुभव और डिग्री नहीं होने के बावजूद वह विभाग का नेतृत्व कर रही हैं।

द मूकनायक से बातचीत में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. मोनिका वर्मा ने डॉ. अभिषेक यादव के सभी आरोपों को पूरी तरह निराधार बताया। उन्होंने कहा कि अभिषेक यादव को जिस विषय का क्लास और पेपर पढ़ाने के लिए दिया गया था, उसे उन्होंने खुद पढ़ाने से मना कर दिया था। उनके अनुसार, इस कारण से उन्हें क्लास नहीं मिला। डॉ. वर्मा का कहना है कि अभिषेक जो बातें फैला रहे हैं, वे पूरी तरह मनगढ़ंत हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनकी शादी इंटरकास्ट मैरिज है और उनके पति अनुसूचित जाति वर्ग से हैं, इसलिए उनके मन में पिछड़े और वंचित वर्गों के प्रति कोई हीन भावना नहीं हो सकती।

डॉ. मोनिका वर्मा ने बताया कि उन्होंने इस पूरे मामले की जानकारी अपने वरिष्ठ अधिकारियों को लिखित रूप से दे दी है। उनका आरोप है कि अभिषेक यादव झूठी बातें फैलाकर सुनियोजित तरीके से विश्वविद्यालय की छवि खराब करने की कोशिश कर रहे हैं। उनके अनुसार, इस तरह के आरोप न केवल व्यक्तिगत स्तर पर उन्हें बदनाम करने वाले हैं, बल्कि संस्थान की साख को भी नुकसान पहुंचाते हैं।

शिकायत के बाद भी कार्रवाई नहीं

डॉ. अभिषेक यादव ने इस मामले की शिकायत कुलगुरु विजय मनोहर तिवारी और कुलसचिव प्रो. पी. शशिकला से की है। उन्होंने कुलगुरु को आरक्षण नियमों की प्रति भी सौंपी, लेकिन उनका आरोप है कि उन्हें अपनी बात पूरी तरह रखने का अवसर नहीं मिला और अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।

डॉ. यादव ने कुलसचिव को एक लिखित शिकायत पत्र सौंपते हुए मांग की है कि चयन नियमों और निर्धारित योग्यता मानकों के आधार पर उन्हें चार लेक्चर का आवंटन किया जाए। उनका कहना है कि वर्तमान में कुछ ऐसे शिक्षकों को लेक्चर आवंटित किए गए हैं, जो अयोग्य हैं या पक्षपातपूर्ण तरीके से चयनित किए गए हैं। उन्होंने ऐसे शिक्षकों को तत्काल प्रभाव से हटाने की मांग की है। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा है कि योग्य उम्मीदवारों और नए शिक्षकों को अवसर दिया जाए, ताकि नियुक्ति प्रक्रिया में पारदर्शिता बनी रहे और छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त हो सके।

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