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ऑनलाइन LLM कोर्स लेकर BCI की बड़ी चेतावनी: बिना मंजूरी के कोर्स बेकार, नौकरी या Degree में नहीं...

नई दिल्ली- बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने देश भर के विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों द्वारा संचालित किए जा रहे ऑनलाइन और डिस्टेंस मोड के LLM (मास्टर ऑफ लॉ) कोर्सेज पर सख्त रोक लगा दी है। BCI के चेयरपर्सन जस्टिस राजेंद्र मेनन (सेवानिवृत्त) ने सभी हाईकोर्ट्स को भेजे गए पत्र में स्पष्ट किया है कि बिना BCI की मंजूरी के चलाए जा रहे ऑनलाइन, डिस्टेंस या हाइब्रिड मोड के LLM कोर्स पूरी तरह से अवैध हैं और इन्हें किसी भी सरकारी या निजी नौकरी, शिक्षण पद या जुडिशियल सर्विसेज में मान्यता नहीं दी जाएगी।

BCI ने अपने पत्र में यह भी स्पष्ट किया है कि 'LLM (प्रोफेशनल)', 'एग्जीक्यूटिव LLM' या 'एमएससी इन लॉ' जैसे नामों से चलाए जा रहे कोर्स भी गैरकानूनी हैं क्योंकि ये छात्रों को गुमराह करने का काम कर रहे हैं।

BCI ने इस मामले में राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय (NLU) दिल्ली, IIT खड़गपुर और जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी समेत कई प्रतिष्ठित संस्थानों को नोटिस जारी कर पूछा है कि उन्होंने BCI की अनुमति के बिना ये कोर्स कैसे शुरू कर दिए। BCI का कहना है कि कानून की पढ़ाई एक विशेष प्रकार की शिक्षा है जिसमें क्लासरूम में होने वाली बहस, शिक्षकों के साथ सीधा संवाद और केस स्टडीज बेहद जरूरी हैं जो ऑनलाइन मोड में संभव नहीं है।

उल्लेखनीय है कि कुछ मामलों में, प्रतिष्ठित विधि विश्वविद्यालयों सहित कई संस्थानों ने BCI का नोटिस मिलते ही ऐसे कार्यक्रमों को वापस ले लिया है। इन प्रतिक्रियाओं ने BCI के अधिकार क्षेत्र को स्वीकार करते हुए उन कार्यक्रमों को बंद करने की पुष्टि की है जिनमें पर्याप्त कानूनी सामग्री शामिल थी लेकिन पूर्व अनुमोदन के अभाव में चल रहे थे। BCI इन सुधारात्मक कार्यों का स्वागत करते हुए अन्य संस्थानों से अपने शैक्षणिक प्रस्तावों की समीक्षा करके उन्हें नियमों के अनुरूप लाने का आग्रह किया है।

BCI ने यह भी चेतावनी दी है कि जो छात्र पहले से ही ऐसे अमान्य कोर्सेज में दाखिला ले चुके हैं, उनकी डिग्री किसी काम की नहीं होगी और वे यूजीसी-नेट, लॉ कॉलेजों में शिक्षण पद या अन्य सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन नहीं कर पाएंगे।

BCI ने सभी छात्रों से अपील की है कि वे किसी भी LLM कोर्स में दाखिला लेने से पहले BCI की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर यह जरूर चेक कर लें कि वह कोर्स मान्यता प्राप्त है या नहीं। साथ ही संस्थानों से BCI की मंजूरी का प्रमाण पत्र भी मांगें।

BCI ने यह भी स्पष्ट किया है कि वह जल्द ही एक राष्ट्रीय विज्ञापन अभियान चलाएगी ताकि छात्र इन अवैध कोर्सेज के जाल में न फंसें। साथ ही, नियमों का उल्लंघन करने वाले संस्थानों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी। BCI के इस कदम से देश भर के हजारों छात्रों को राहत मिलने की उम्मीद है जो अब तक इन अवैध कोर्सेज के चक्कर में पैसा और समय बर्बाद कर चुके हैं।

BCI की सख्त चेतावनी

BCI ने अपने पत्र में साफ़ लिखा कि "कानून की पढ़ाई क्लासरूम में होने वाली गहन चर्चा, शिक्षकों के मार्गदर्शन और केस स्टडीज के बिना पूरी नहीं हो सकती। ऑनलाइन कोर्सेज से पढ़कर आए वकील या जज कैसे न्याय व्यवस्था संभाल पाएंगे?"

छात्र क्या करें?

BCI की वेबसाइट पर चेक करें कि कोर्स मान्यता प्राप्त है या नहीं।

ऑनलाइन LLM में एडमिशन लेने से पहले कॉलेज से BCI की मंजूरी का प्रमाण पत्र मांगें।

पहले से ऐसे कोर्स कर चुके छात्र BCI से संपर्क कर सलाह लें।

2014 में ही स्थापित हुई थी BCI की स्पष्ट नीति, कानूनी और नियामक कार्रवाइयां जारी रहेंगी

वर्ष 2014 में ही एक प्रतिष्ठित राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय ने दूरस्थ शिक्षा मोड के माध्यम से कानूनी शिक्षा कार्यक्रम शुरू करने का प्रयास किया था। BCI ने स्पष्ट रूप से अनुमति से इनकार करते हुए साफ़ किया कि कानूनी शिक्षा केवल पूर्णकालिक, आमने-सामने की शिक्षण पद्धति से ही संचालित की जानी चाहिए। यह निर्णय विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) को औपचारिक रूप से सूचित किया गया था, जिसमें स्पष्ट किया गया था कि कानून, एक विनियमित व्यावसायिक अनुशासन होने के नाते, सामान्य दूरस्थ शिक्षा मानदंडों के अधीन नहीं है, जब तक कि BCI द्वारा स्पष्ट रूप से अनुमति न दी जाए।

बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने गैर-कानून स्नातकों को लक्षित करके ऑनलाइन या पार्ट-टाइम फॉर्मेट में चलाए जा रहे डिप्लोमा और एग्जीक्यूटिव प्रोग्राम्स की बढ़ती प्रवृत्ति पर गंभीर चिंता जताई है। परिषद का मानना है कि यह प्रथा न केवल छात्रों को गुमराह करती है, बल्कि कानूनी शिक्षा के वैधानिक मानकों को कमजोर करने के साथ-साथ भारत में कानूनी शिक्षा की विश्वसनीयता को भी खतरे में डालती है।

इस संदर्भ में BCI ने सभी विश्वविद्यालयों और कानून संस्थानों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि वे बिना BCI की लिखित अनुमति के ऑनलाइन, हाइब्रिड, ब्लेंडेड या पार्ट-टाइम मोड में किसी भी LL.M. या समकक्ष कार्यक्रम का विज्ञापन या संचालन न करें। साथ ही, ऐसे कोई भी चालू कार्यक्रमों को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने और BCI को अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है। BCI ने यह भी स्पष्ट किया है कि वह देश में कानूनी शिक्षा के मानकों और वैधानिक ढांचे को बनाए रखने के लिए सभी आवश्यक कानूनी और नियामक कार्रवाइयां जारी रखेगी, जिसमें अवमानना कार्यवाही शुरू करना, सार्वजनिक परामर्श जारी करना और इन नियमों का उल्लंघन जारी रखने वाले संस्थानों की मान्यता स्थिति की समीक्षा करना शामिल हो सकता है।

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