Exclusive Interview: विधायक संजीव सरदार झारखंड के आदिवासियों की भाषा और संस्कृति के बारे में क्या कहा?

05:00 PM Nov 01, 2024 | Ankit Pachauri

रांची। झारखंड विधानसभा चुनाव में पूर्वी सिंहभूम जिले की पोटका सीट पर इस बार मुकाबला दिलचस्प है। मौजूदा विधायक और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के उम्मीदवार संजीव सरदार को भारतीय जनता पार्टी (BJP) से कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे समय में, संजीव सरदार ने द मूकनायक की एडिटर-इन-चीफ मीना कोटवाल से बातचीत के दौरान राजनीति में अपने सफर, क्षेत्रीय विकास, आदिवासी समुदाय की समस्याओं और भविष्य की योजनाओं पर खुलकर चर्चा की।

राजनीति में आपका सफर कैसे शुरू हुआ?

जवाब: मैं एक आदिवासी परिवार से हूँ और ग्रामीण पृष्ठभूमि में पला-बढ़ा हूँ। झारखंड आंदोलन में हमारे परिवार का अहम योगदान रहा है। शिक्षा के दौरान ही मुझे झारखंड के जल, जंगल और जमीन के अधिकारों का महत्व समझ में आने लगा था। इसी प्रेरणा से मैंने 2010 में पंचायत चुनाव लड़ा और राजनीति में कदम रखा। धीरे-धीरे मैंने क्षेत्र के विकास के लिए और बड़ी जिम्मेदारियाँ लीं और आज विधायक के रूप में काम कर रहा हूँ। राजनीति में आने का मेरा उद्देश्य केवल पद हासिल करना नहीं था, बल्कि क्षेत्र के लोगों के जीवन में बदलाव लाना था।

विधानसभा में आपके पांच वर्षों के कार्यकाल का अनुभव कैसा रहा और आप कितने संतुष्ट हैं?

जवाब: मैंने इस कार्यकाल में कोई कसर नहीं छोड़ी। जनप्रतिनिधि के रूप में मेरा लक्ष्य हमेशा लोगों की सेवा करना रहा है। राजनीति में आने से पहले मेरे परिवार ने मुझसे कहा था कि ऐसे काम करो जिससे तुम्हारा और क्षेत्र का नाम हो। मैंने हर संभव प्रयास किया कि क्षेत्र के विकास में योगदान दे सकूँ। चाहे शिक्षा का क्षेत्र हो, स्वास्थ्य हो, या ग्रामीण बुनियादी सुविधाएँ, हर पहलू में काम किया। इसके बावजूद, कुछ काम हैं जो अधूरे रह गए हैं, जिन्हें मैं अपने अगले कार्यकाल में पूरा करना चाहूंगा।

आपने राजनीति में क्या उद्देश्य लेकर कदम रखा?

जवाब: मैंने राजनीति में इसलिए कदम रखा ताकि अपने क्षेत्र में विकास और तरक्की ला सकूं। पहले के विधायक जब हमारे क्षेत्र में काम करते थे, तो जनता उनके सामने अपनी समस्याएँ रखने में संकोच करती थी। मैंने तय किया कि एक ऐसा माहौल बनाना है जहाँ लोग अपनी बात खुलकर कह सकें। विधायक बनने के बाद, मैंने लोगों में विश्वास पैदा करने की कोशिश की। आज मेरे क्षेत्र की जनता बिना किसी भय के अपनी समस्याओं को मेरे सामने रखती है, और यही मेरी सबसे बड़ी उपलब्धि है।

आप आज भी साइकिल पर जाकर जनता से मिलते हैं, इसके पीछे क्या सोच है?

जवाब: मैं हमेशा लोगों के करीब रहना चाहता हूँ। साइकिल से या बाइक से क्षेत्र का दौरा करने से मैं सीधे-सीधे लोगों से मिल पाता हूँ। अगर मैं सुरक्षा कर्मियों के साथ जाऊं तो लोग खुलकर अपनी समस्याएँ नहीं बता पाते। जब मैं साइकिल या बाइक पर अकेले जाता हूँ, तो लोग सहजता से अपनी परेशानियाँ मुझसे साझा करते हैं। यह मेरा तरीका है कि मैं क्षेत्र की जनता से व्यक्तिगत तौर पर मिल सकूँ और उनकी समस्याओं का समाधान कर सकूँ।

शिक्षा के क्षेत्र में आपने क्या काम किया और आगे की क्या योजना है?

जवाब: मुझे हमेशा से यह विश्वास है कि शिक्षा की कमी के कारण ही आदिवासी समुदाय अपने अधिकारों से वंचित रहा है। राजनीति में आने से पहले ही मैं युवाओं और बच्चों को शिक्षा के प्रति जागरूक करता रहा हूँ। जब मैंने विधायक का पद संभाला, तो मेरे क्षेत्र में बहुत से स्कूल और डिग्री कॉलेज की कमी थी। मैंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मिलकर इस विषय पर चर्चा की और उनके सहयोग से यहाँ नए स्कूल और डिग्री कॉलेज खोले गए। अब यहाँ के गरीब बच्चे भी उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं। भविष्य में मेरा लक्ष्य है कि शिक्षा को और सुदृढ़ करूँ और नए संस्थान खोलने के प्रयास करूँ।

यदि आप फिर से चुने गए, तो आपकी क्या योजनाएँ होंगी?

जवाब: मैंने अपने पिछले कार्यकाल में विकास के हर पहलू पर ध्यान दिया, लेकिन कुछ योजनाएँ अधूरी रह गईं हैं, जिन्हें पूरा करना है। शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, और पेयजल जैसी बुनियादी सुविधाओं को और बेहतर करना है। मेरा प्रयास होगा कि सरकारी योजनाओं का लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुँचे और कोई भी सुविधा से वंचित न रहे। क्षेत्र की तरक्की के लिए मैं पूरी तरह समर्पित हूँ।

भूमि-भाषा की मांग को लेकर आपकी क्या सोच है?

जवाब: आदिवासी समाज की भाषा, संस्कृति और परंपराओं का संरक्षण करना बहुत महत्वपूर्ण है। हम लगातार भूमि और भाषा की मांग को प्राथमिकता देते रहे हैं। यह केवल एक मांग नहीं, बल्कि हमारे अस्तित्व और पहचान का प्रतीक है। मैं चाहता हूँ कि आने वाली पीढ़ियाँ अपनी भाषा और संस्कृति से जुड़ी रहें। आदिवासियों की सांस्कृतिक धरोहर को संजोना और उसे भविष्य तक पहुँचाना हमारा कर्तव्य है। यही वजह है कि मैं हमेशा इस मुद्दे को उठाता हूँ और सरकार से भी इस पर ध्यान देने की अपील करता हूँ।

द मूकनायक के साथ इस विशेष इंटरव्यू में संजीव सरदार ने अपनी चुनावी योजनाओं और आदिवासी समाज के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को स्पष्ट किया। उनका उद्देश्य न केवल क्षेत्रीय विकास बल्कि आदिवासी समुदाय की सांस्कृतिक पहचान और अधिकारों को संरक्षित करना है। उन्होंने कहा, "यह चुनाव मेरे लिए सिर्फ जीतने का साधन नहीं, बल्कि जनता की सेवा और उनके भरोसे को बनाए रखने का अवसर है। मैं क्षेत्र के लोगों के विश्वास को कभी टूटने नहीं दूंगा।"