जयपुर- डॉ. अंबेडकर मेमोरियल वेलफेयर सोसाइटी, राजस्थान ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और पिछड़ा वर्ग (OBC) के छात्रों के लिए स्वामी विवेकानंद स्कॉलरशिप फॉर एकेडमिक एक्सीलेंस में आरक्षण लागू करने की माँग की है। सोसाइटी के महासचिव जी.एल. वर्मा ने सरकार से छात्रवृत्ति नीति में संशोधन की आवश्यकता पर ज़ोर दिया है।
वर्मा ने बताया कि राजस्थान सरकार की स्वामी विवेकानंद स्कॉलरशिप के तहत हर साल 300 मेधावी छात्रों को विदेशी विश्वविद्यालयों में पढ़ाई के लिए छात्रवृत्ति दी जाती है, लेकिन इसमें आरक्षित वर्गों के लिए कोई कोटा नहीं है।
दूसरी ओर, डॉ. अंबेडकर अंतरराष्ट्रीय छात्रवृत्ति योजना के तहत सिर्फ 5 अनुसूचित जाति के छात्रों को सीमित विषयों में पीएचडी के लिए छात्रवृत्ति मिलती है, जो अप्रासंगिक और गैर-लाभकारी साबित हो रही है।
असमानता की प्रमुख बातें
विषय चयन में भेदभाव – स्वामी विवेकानंद स्कालरशिप में सभी विषयों में स्नातक, स्नातकोत्तर, पीएचडी, पोस्ट डाक्टरल में छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है जबकि अंबेडकर अंतरराष्ट्रीय छात्रवृत्ति योजना में केवल समाजशास्त्र, लोक प्रशासन, विधि, अर्थशास्त्र, राजनीति शास्त्र एवं मानव शास्त्र में पीएचडी में ही स्कालरशिप प्रदान की जाती है।
वार्षिक आय सीमा- स्वामी विवेकानंद स्कालरशिप में वार्षिक आय की कोई उच्चतम सीमा नहीं, परंतु 8 लाख रुपए वार्षिक आय वालों को प्राथमिकता प्रदान की जाती है जबकि अंबेडकर अंतरराष्ट्रीय छात्रवृत्ति योजना में 6.50 लाख रुपए वार्षिक आय से अधिक वाले छात्र पात्र नहीं हैं।
ट्यूशन फीस प्रतिवर्ष- स्वामी विवेकानंद स्कालरशिप प्रतिछात्र 50 लाख रुपए तक प्रदान की जाती है, जबकि अंबेडकर अंतरराष्ट्रीय छात्रवृत्ति योजना में प्रतिछात्र/प्रतिवर्ष 10 लाख रुपए तक की ही छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है।
लिविंग एक्सपेंसेज- स्वामी विवेकानंद स्कालरशिप में प्रतिछात्र 12 लाख रुपए प्रतिवर्ष प्रदान किए जाते हैं जबकि अंबेडकर अंतरराष्ट्रीय छात्रवृत्ति योजना में कुछ भी नहीं मिलता है।
अब तक का प्रभाव – विवेकानंद स्कॉलरशिप से अब तक 1,000 से अधिक छात्र लाभान्वित हो चुके हैं, जबकि अंबेडकर योजना में कोई भी छात्र लाभ नहीं उठा सका है।
सोसाइटी का कहना है कि आरक्षित वर्ग के छात्रों के लिए विदेशी विश्वविद्यालयों में उच्च शिक्षा हासिल करना मुश्किल हो गया है, जिससे वे आईआईटी और आईआईएम जैसी संस्थाओं में शिक्षण पदों पर नियुक्ति पाने से भी वंचित हो रहे हैं।
जी.एल. वर्मा ने स्वामी विवेकानंद स्कॉलरशिप में आरक्षित वर्गों के लिए कोटा निर्धारित करने और इसे सामाजिक न्याय के अनुरूप बनाने की माँग की है। सोसाइटी ने चेताया कि अगर सरकार जल्द इस पर फैसला नहीं लेती, तो इसे लेकर बड़ा आंदोलन खड़ा किया जाएगा।
वर्मा ने राजस्थान सरकार द्वारा कालीबाई भील मेघावी छात्रा स्कूटी वितरण स्कीम में SC छात्राओं को दिए जा रहे लाभ को कम बताया है, उन्होंने बताया कि अनुसूचित जाति को केवल 1000 स्कूटी प्रदान की गई है जो अनुसूचित जनजाति को आवंटित 6000 स्कूटी एवं अति पिछड़ा वर्ग को आवंटित 1500 स्कूटी के मुकाबले बहुत कम है।
क्या है अंबेडकर अंतर्राष्ट्रीय छात्रवृत्ति योजना ?
2016 में डॉ. बी.आर. अंबेडकर की 125वीं जयंती के अवसर पर आयोजित राज्य स्तरीय समारोह में मुख्यमंत्री द्वारा अंबेडकर अंतर्राष्ट्रीय छात्रवृत्ति योजना की घोषणा की गई। यह योजना सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग, राजस्थान सरकार द्वारा प्रदान की जाती है।
यह छात्रवृत्ति विदेश में स्थित किसी भी विश्वविद्यालय या संस्थान से डॉक्टरेट की डिग्री की पढ़ाई करने के इच्छुक अनुसूचित जाति वर्ग के छात्रों को प्रदान की जाती है।
इस छात्रवृत्ति योजना का उद्देश्य अनुसूचित जाति वर्ग के छात्रों को आर्थिक रूप से सहायता प्रदान करना तथा उन्हें देश के बाहर स्थापित किसी विश्वविद्यालय या शैक्षणिक संस्थान से डॉक्टरेट की डिग्री (पीएचडी डिग्री) प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करना है।
इस योजना के तहत उम्मीदवारों को 25 लाख रुपये तक की छात्रवृत्ति देय है । छात्रवृत्ति राशि का विभाजन इस प्रकार है :-
प्रथम वर्ष-10 लाख
दूसरे वर्ष- 10 लाख
तीसरे वर्ष-5 लाख
कालीबाई भील स्कूटी योजना में भी भेदभाव- अनुसूचित जाति की छात्राओं के लिए आवंटन बढ़ाने की मांग
डॉ. अंबेडकर मेमोरियल वेलफेयर सोसाइटी ने राजस्थान सरकार द्वारा संचालित कालीबाई भील मेधावी छात्रा स्कूटी वितरण योजना में भी अनुसूचित जाति (SC) की छात्राओं के साथ भेदभाव का आरोप लगाया है। SC आबादी राज्य में 18% होने के बावजूद, उन्हें सिर्फ 1,000 स्कूटियाँ आवंटित की गई हैं, जबकि अन्य वर्गों को इससे कई गुना अधिक लाभ मिला है।
योजना के तहत अनुसूचित जनजाति (TSP और Non-TSP) को 6,000 स्कूटियाँ, आर्थिक पिछड़ा वर्ग को 600, अल्पसंख्यक वर्ग को 750, अन्य सभी वर्गों को 1,690 और अति पिछड़ा वर्ग (देवनारायण योजना) को 1,500 स्कूटियाँ दी गई हैं।
समान शिक्षा अवसरों को सुनिश्चित करने के लिए अनुसूचित जाति की छात्राओं के लिए स्कूटी आवंटन 1,000 से बढ़ाकर 8,000 करने की मांग की है ताकि वे भी उच्च शिक्षा के लिए प्रेरित हो सकें और परिवहन की दिक्कतों से जूझने की बजाय पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित कर सकें।