विल्लुपुरम, तमिलनाडु: तमिलनाडु के विल्लुपुरम जिले से एक बेहद शर्मनाक वीडियो सामने आया है, जिसने पूरे देश में सनसनी फैला दी है। इस वीडियो में एक अनुसूचित जाति से आने वाले सरकारी अधिकारी को एक डीएमके पार्षद के पैरों में गिरकर माफी मांगते हुए देखा जा सकता है। यह घटना टिंडिवनम नगर पालिका कार्यालय के अंदर की बताई जा रही है, जिसके बाद से राजनीतिक गलियारों में भी हड़कंप मच गया है और सामाजिक न्याय पर एक नई बहस छिड़ गई है।
वायरल हो रहे इस वीडियो को भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के प्रदेश अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर साझा किया। उन्होंने डीएमके पर तीखा हमला बोलते हुए कहा, "डीएमके खुद को सामाजिक न्याय की पार्टी के रूप में प्रस्तुत करती है, लेकिन असल में वह केवल सामाजिक अन्याय करती है।" वीडियो में साफ तौर पर दिख रहा है कि अधिकारी मुनियप्पन, पार्षद राम्या राजा के पैरों पर गिरे हुए हैं और कमरे में मौजूद अन्य लोग उनसे माफी मांगने के लिए कह रहे हैं।
This is DMK’s model of Social Justice.
— K.Annamalai (@annamalai_k) September 3, 2025
A public servant belonging to the Scheduled Caste community in Tindivanam was cornered continuously by DMK Councillors and was made to apologise by falling at the feet of the DMK Councillor Ramya. This is not the first time DMK has… pic.twitter.com/XrjNvtPvAN
इस अपमानजनक घटना के बाद, पीड़ित अधिकारी मुनियप्पन ने हिम्मत दिखाते हुए टिंडिवनम पुलिस में पार्षद राम्या और उनके पति राजा के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। अपनी शिकायत में मुनियप्पन ने आरोप लगाया है कि पार्षद राम्या राजा ने उनसे एक दस्तावेज़ लाने के लिए कहा था। जब उन्हें वह दस्तावेज़ खोजने में थोड़ा वक्त लगा, तो पार्षद और उनके पति राजा ने उनके साथ जातिसूचक शब्दों का प्रयोग करते हुए गाली-गलौज की।
मुनियप्पन ने अपनी शिकायत में यह भी बताया कि उन दोनों ने उन्हें धमकी दी और "कॉलोनी पय्यन" (कॉलोनी का लड़का) और "परिया" जैसे अपमानजनक जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल कर उन्हें प्रताड़ित किया।
पीड़ित अधिकारी के अनुसार, मामला यहीं शांत नहीं हुआ। उन्होंने आरोप लगाया कि उसी दिन शाम को, उनके वरिष्ठ अधिकारियों ने एक बैठक बुलाई और उन पर पार्षद से माफी मांगने के लिए दबाव बनाया। शिकायत के मुताबिक, उन्हें न केवल माफी मांगने, बल्कि पार्षद के पैरों में गिरकर माफी मांगने का निर्देश दिया गया, जिसे किसी ने कैमरे में कैद कर लिया और अब यह वीडियो वायरल हो गया है।
इस पूरे विवाद पर जब पार्षद राम्या राजा से संपर्क किया गया, तो उन्होंने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, "मैंने अधिकारी को अपने पैरों पर गिरने के लिए मजबूर नहीं किया। किसी ने भी उन्हें ऐसा करने के लिए नहीं कहा था। वह खुद ही भावुक हो गए और अपने आप मेरे पैरों पर गिर पड़े।"
फिलहाल, पुलिस ने शिकायत के आधार पर मामले की जांच शुरू कर दी है। एक तरफ जहां एक दलित अधिकारी जातिगत अपमान और प्रताड़ना का आरोप लगा रहा है, वहीं दूसरी तरफ पार्षद इसे एक भावनात्मक घटना बता रही हैं। इस वीडियो ने एक बार फिर तमिलनाडु में सत्ता के दुरुपयोग और सामाजिक भेदभाव के संवेदनशील मुद्दे को हवा दे दी है।