राजसमंद, राजस्थान - राजसमंद जिले के भीम थाना क्षेत्र में जातिगत भेदभाव की एक गंभीर घटना सामने आई है, जहाँ एक अनुसूचित जाति (एससी) के सालवी परिवार को अंतिम संस्कार करने के दौरान ऊंची जाति के लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा। कुशलपुरा ग्राम पंचयत के देव डूंगरी गाँव में मृतक घिसा राम के परिवार द्वारा अंतिम संस्कार के लिए प्रशासन द्वारा आवंटित श्मशान भूमि पर रस्मों की तैयारी के दौरान यह विवाद हुआ। स्थानीय रावत समुदाय ने अनुसूचित जाति समुदाय को इस भूमि पर शव दफनाने से रोकने की कोशिश की, जिससे स्थिति तनावपूर्ण हो गई। मामला इतना बढ़ गया कि दोनों पक्षों के बीच पथराव हुआ. पुलिस की दखल, सख्ती और समझाईश के बाद जाब्ते की मौजूदगी में शव को दफनाया गया.
31 अक्टूबर को घिसा राम के निधन के बाद, उनके बेटे गंगा राम ने समाज के लोगों के साथ जिला प्रशासन द्वारा आवंटित श्मशान भूमि (खसरा संख्या 15575 / 2768) पर अंतिम संस्कार की तैयारी शुरू की। द मूकनायक से बात करते हुए गंगाराम ने बताया कि प्रक्रिया के लिए एक जेसीबी मशीन से खड्डा खुदवाया जा रहा था। उसी समय, रावत समुदाय के लगभग 50 से 100 लोग, जिनमें महिलाएं भी शामिल थीं, वहां आ धमके और आक्रामक रूप से पथराव करने लगे। इस पथराव में जेसीबी मशीन के कांच टूट गए और चालक के साथ मारपीट भी की गई। साथ ही, कार्यक्रम में शामिल सालवी लोगों के खिलाफ जातिसूचक अपशब्दों का प्रयोग किया गया।
घटना के दौरान, आरोपियों ने सालवी समाज के लोगों को धमकाया और कहा कि "तुम नीच जाति के लोग हमारी जमीन पर दाह संस्कार नहीं कर सकते।" आरोपियों ने शवयात्रा को भी बाधित किया और अनुसूचित जाति के समुदाय के लोगों को वहां से हटने का आदेश दिया। इस घटना से वहां मौजूद समुदाय के लोग बेहद आहत हुए।
गंगा राम ने आरोप लगाया है कि रावत समुदाय के लोग उन्हें श्मशान भूमि पर जाने से रोक रहे हैं और उनके समाज की महिलाओं को नरेगा कार्यस्थल और उचित मूल्य की दुकान पर भी जाने से मना कर दिया गया है। इसके अलावा, किसी भी दुकान से सामान खरीदने पर भी पाबंदी लगा दी गई है।
सालवी समाज के ही एक सदस्य ने नाम ना जाहिर करने की शर्त पर द मूकनायक को बताया कि विवाद बहुत बढ़ गया था, घटना की सूचना मिलते ही भीम थाना प्रभारी और डिप्टी एसपी पुलिस दल के साथ मौके पर पहुंचे। पुलिस और प्रशासन की उपस्थिति में ही संस्कार संभव हो पाया।
इस घटना के संबंध में गंगाराम की ओर से एफआईआर दर्ज कराई गई है, जिसमें 22 नामजद और 50-100 अज्ञात लोगों के खिलाफ जातिसूचक गाली-गलौज, धमकी और मारपीट के आरोप लगाए गए हैं। एफआईआर में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धाराएं 3(1)(आर)(एस), 3(2)(वी)(ए) शामिल की गई हैं। पुलिस अधीक्षक ने मामले की जांच डीवाईएसपी पारस चौधरी को सौंपी है।
जातिगत तनाव का बढ़ता प्रभाव
राजसमंद में देव डूंगरी गाँव में अनुसूचित जाति समुदाय के लिए श्मशान भूमि का आवंटन विवाद का एक बड़ा कारण बन गया है। द मूकनायक ने स्थानीय वीरम राम से बात की जो आर्मी से रिटायर होने के बाद गाँव में ही रहते हैं. उन्होंने बताया कि ऊंची जातियों का विरोध इस बात को लेकर है कि अनुसूचित जाति समुदाय उनके क्षेत्र में अंतिम संस्कार की रस्में क्यों निभा रहा है?
वीरम राम बताते हैं कि दोनों समुदायों में विवाद तीन महीनों में हुआ है जब सालवी समाज को प्रशासन द्वारा चारागाह भूमि श्मशान के लिए आवंटित की गई. इससे पहले तक समाज के लिए श्मशान भूमि नहीं थी. हाईवे के पार निजी खातेदारी की जमीन खाली पड़ी थी जिनके मालिक बाहर रहते थे. उसी जमीन पर बरसों से सालवी समाज के लोग किसी की मौत होने पर शवों को दफनाते थे लेकिन बरसात के दिनों में यह मुश्किल हो जाता था. पंचायत की और से कोई सुविधा नहीं होने, तालाब भर जाने से जमीन में पानी भरने से शव दफनाने की परेशानी को देखते हुए समाज ने श्मशान भूमि की मांग की जिसपर उन्हें चारागाह जमीन से मौजूदा जगह तीन माह पहले आवंटित हुई.
वीरम राम बताते हैं ," जमीन मिलने के बाद एक बार पहले भी रावत समुदाय की तरफ से शव दफनाने को लेकर विरोध किया गया लेकिन इस बार मामला ज्यादा बढ़ गया. गाँव में सालवी समाज के 20-25 घर हैं जबकि रावत समुदाय के ज्यादा मकान होने से उनका दबदबा है. श्मशान भूमि को लेकर दोनों समुदायों के बीच कड़वाहट बढ़ गई है. यहाँ तक कि जमीन आवंटित होने के बाद उन्होने नरेगा में मस्टर रोल भी अलग अलग कर दिए. गाँव का प्राइमरी स्कूल उनके मोहल्ले में है, राशन की दुकान भी है जिसको लेकर वे कहते हैं - हमारी तरफ आकर देखो , फिर दिखाते हैं". सालवी समाज का कहना है कि शव दफनाने के मामले में पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है, जातिगत भेदभाव को लेकर समझाईश का प्रयास करेंगे और समाधान नहीं निकला तो जिला प्रशासन को शिकायत दी जाएगी.
दलित अधिकार कार्यकर्ता भंवर मेघवंशी कहते हैं कि इस प्रकार की घटना राजस्थान में व्याप्त जातिगत भेदभाव और सामाजिक असमानता की एक और कड़ी जोड़ती है, जहाँ अभी भी हाशिये की जातियों को सामाजिक और धार्मिक अधिकारों से वंचित रखा जा रहा है। मेघवंशी के मुताबिक भीम में स्थानीय लोग इस मामले में प्रशासनिक दखल के लिए ज्ञापन देने की मंशा रखते हैं.