"मेरे साथ सिर्फ सोना चाहते थे, शादी नहीं!" — दलित महिला की डेटिंग कहानी ने उंची जाति के युवकों की असलियत खोल दी

12:00 PM Jul 19, 2025 | Rajan Chaudhary

नई दिल्ली। भारत में जातिगत भेदभाव सिर्फ सामाजिक या आर्थिक दायरे तक सीमित नहीं है — यह आज भी रिश्तों की नींव तक को प्रभावित करता है। हाल ही में सोशल मीडिया मंच Reddit पर एक दलित महिला ने अपने डेटिंग अनुभव साझा किए, जिसने इंटरनेट पर हलचल मचा दी। उन्होंने बताया कि कैसे भारतीय पुरुषों ने उन्हें एक समान और सम्मानजनक साथी की तरह नहीं, बल्कि एक 'सेक्शुअल ऑब्जेक्ट' की तरह देखा।

इस महिला ने लिखा कि शुरुआत में पुरुष उनकी सुंदरता और बुद्धिमत्ता की तारीफ करते, लेकिन जैसे ही उन्हें उनकी जाति के बारे में पता चलता, उनका व्यवहार पूरी तरह बदल जाता। अधिकतर पुरुषों ने 'पारिवारिक दबाव' का हवाला देकर संबंध तोड़ दिए।

उसने बताया, “वे कहते थे, ‘तुम में कोई कमी नहीं है, लेकिन हमारे परिवार इसे स्वीकार नहीं करेंगे।’ या फिर: ‘तुम किसी ऐसे को डिज़र्व करती हो जिसे इतना संघर्ष न करना पड़े।’”

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महिला ने यह भी बताया कि उन्हें कई बार अपमानजनक टिप्पणियां सुननी पड़ीं जैसे— “तुम दलित जैसी नहीं दिखतीं”। उन्होंने लिखा कि उन्हें सिर्फ 'सेक्सुअल एक्सपेरिमेंट' की तरह इस्तेमाल किया गया, कभी जीवनसाथी की तरह नहीं देखा गया।

महिला ने आगे बताया,

“दलित महिलाएं ‘ज्यादा वाइल्ड’ होती हैं, ‘बेड में बेहतर’ होती हैं — मुझे बार-बार इस तरह से फेटिश किया गया। मैं उनके लिए एक रोमांच हूं, लेकिन स्थायी रिश्ता नहीं। मुझे लगता है कि मैं एक ऐसा 'छुपा हुआ फेज़' हूं, जिससे वे गुज़रते हैं लेकिन कभी ज़िक्र नहीं करते।”

केवल व्यक्तिगत रिश्तों में ही नहीं, बल्कि उनके करियर को लेकर भी पुरुषों की सोच भेदभावपूर्ण रही। महिला ने लिखा कि उनकी उपलब्धियों को आरक्षण का परिणाम बताया गया, न कि उनकी मेहनत का।

उसने कहा, “मैंने पढ़ाई की, करियर बनाया, खुद को संभाला — लेकिन वो कभी पर्याप्त नहीं था।”

इस भावनात्मक और कड़वे अनुभव के बाद, महिला ने अब डेटिंग से किनारा कर लिया है।

वह कहती है, “मैंने प्यार में विश्वास करना नहीं छोड़ा, लेकिन खुद को बार-बार इस दर्दनाक चक्र से गुज़रने देना बंद कर दिया। मैं किसी की एक्सपेरिमेंट नहीं हूं, किसी का थ्रिल या छिपा हुआ फेज़ नहीं हूं। हम 'डिस्पोजेबल' नहीं हैं। हम किसी की ज़िंदगी की छुपी हुई कहानियां नहीं हैं।”

उन्होंने अंत में सभी महिलाओं से अपील की कि वे खुद को समझें, सम्मान करें और अपनी गरिमा से समझौता न करें।