UP: दलित महिला से बलात्कार के मामले में पूर्व कांग्रेस सेवा दल नेता को उम्रकैद

10:38 AM May 05, 2025 | Rajan Chaudhary

लखनऊ: अंबेडकर नगर की एक विशेष अदालत ने शनिवार को कांग्रेस सेवा दल के पूर्व पदाधिकारी अच्छन ख़ान (50 वर्ष) को एक दलित महिला — जो उनकी सहकर्मी थीं — से बलात्कार के आरोप में उम्रकैद की सज़ा सुनाई है। अदालत ने आरोपी पर 22,000 रुपए का जुर्माना भी लगाया है। जुर्माना न भरने की स्थिति में उसे तीन महीने की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी।

विशेष न्यायाधीश (एससी/एसटी अधिनियम) रामविलास सिंह ने अच्छन ख़ान को आईपीसी की धारा 376 (बलात्कार), 506 (आपराधिक धमकी) और अनुसूचित जाति/जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धाराओं के तहत दोषी करार दिया। यह फैसला उस घटना के लगभग सात साल बाद आया है, जब पहली बार यौन उत्पीड़न की शिकायत दर्ज कराई गई थी।

विशेष लोक अभियोजक सुदीप मिश्रा के अनुसार, पीड़िता, जो कांग्रेस की एक जमीनी कार्यकर्ता थीं, ने आरोप लगाया कि 12 सितंबर 2018 की शाम अच्छन ख़ान ने उनके घर में जबरन घुसकर बलात्कार किया। पीड़िता ने अदालत में बताया कि आरोपी, जो उन्हें पार्टी कार्य से जानते थे, ने उन्हें शारीरिक रूप से ज़बरदस्ती पकड़ा, जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल किया और धमकी दी कि अगर उन्होंने किसी को बताया तो वह उन्हें जान से मार देंगे।

पीड़िता ने बताया कि उन्होंने इंसाफ की गुहार लगाई — अखबरपुर थाने में शिकायत दर्ज कराई और तत्कालीन पुलिस अधीक्षक से भी संपर्क किया — लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। न तो एफआईआर दर्ज की गई, न ही चिकित्सकीय परीक्षण कराया गया।

महिला ने यह भी आरोप लगाया कि 17 सितंबर 2020 को अच्छन ख़ान ने उन्हें बसाख़री थाना क्षेत्र के हरिया इलाके में बुलाया और दोबारा बलात्कार किया। इस बार आरोपी ने उनके आपत्तिजनक फोटो खींचे और धमकी दी कि अगर उन्होंने कानून का सहारा लिया तो वह यह तस्वीरें इंटरनेट पर वायरल कर देंगे। पीड़िता का कहना है कि ऐसी एक अर्धनग्न तस्वीर वास्तव में सोशल मीडिया पर प्रसारित भी की गई, जिससे उन्हें और गहरा मानसिक आघात पहुंचा।

पुलिस की लगातार अनदेखी से निराश होकर पीड़िता ने 31 अक्टूबर 2020 को अंबेडकर नगर एसपी को रजिस्टर्ड शिकायत भेजी, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। इसके बाद उन्होंने स्थानीय अदालत का दरवाजा खटखटाया, जहां से बसाख़री पुलिस को एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया गया। मामला 20 सितंबर 2021 को दर्ज किया गया और चार्जशीट 28 जनवरी 2022 को दाखिल की गई।

लोक अभियोजक मिश्रा ने कहा, "पीड़िता की अदालत में दी गई विस्तृत और सुसंगत गवाही अभियोजन पक्ष का मजबूत आधार बनी।" उन्होंने आगे कहा, "पुलिस की शुरुआती लापरवाही के बावजूद, हमने उनकी गवाही और उपलब्ध सबूतों के आधार पर दोषसिद्धि सुनिश्चित की।"

अदालत ने यह भी माना कि पुलिस द्वारा शिकायत को गंभीरता से न लेने में हुई देरी से जांच प्रभावित जरूर हुई, लेकिन इससे पीड़िता की विश्वसनीयता पर कोई असर नहीं पड़ा।