भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी में 16 वर्षीय एक नाबालिग के साथ हुई बर्बरता ने कानून-व्यवस्था पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। यह घटना बीते माह 21 मार्च की है, जब चेतक ब्रिज के पास स्थित एक कॉफी शॉप से नाबालिग को जबरन उठाकर ले जाया गया। आरोपियों ने उसे एक सुनसान स्थान पर ले जाकर पहले तो निर्वस्त्र किया, फिर चप्पल, जूते और थप्पड़ों से बेरहमी से पीटा। इस पूरी घटना का वीडियो आरोपियों ने खुद बनाया और सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। वायरल वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि पीड़ित से जबरन 'अरबाज भाई हमारे बाप हैं' कहलवाया जा रहा है।
इस अमानवीय कृत्य के पीछे जेल में बंद आरोपी अरबाज और पीड़ित के बीच चली आ रही पुरानी रंजिश है। जानकारी के अनुसार, पीड़ित नाबालिग ने जेल में बंद कैदी नदीम उर्फ बच्चा से मुलाकात की थी, जिससे अरबाज नाराज था। जेल से रिहा होते ही उसने अपने साथियों के साथ मिलकर इस घिनौनी वारदात को अंजाम दिया। घटना के बाद पीड़ित डर के मारे चुप रहा, लेकिन जब धमकियों का सिलसिला बढ़ा, तो आखिरकार 18 अप्रैल को गौतम नगर थाने में शिकायत दर्ज कराई।
शिकायत की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने मामला एमपीनगर थाने को स्थानांतरित किया और तत्काल कार्रवाई शुरू की। आरोपियों के संभावित ठिकानों पर दबिश दी गई, सीडीआर और सीसीटीवी फुटेज का सूक्ष्म विश्लेषण किया गया। इसके साथ ही मुखबिरों की मदद से पुलिस ने महज 24 घंटे में चार आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया, जबकि पांचवां आरोपी अरबाज पहले से ही जेल में था।
गिरफ्तार आरोपियों में अरहम उर्फ अजीम (21), निवासी ईंटखेड़ी, शान उर्फ उमैर उर्फ डिसेंट (18), निवासी शाहजहानाबाद, शानू उर्फ आशिम (40), निवासी कोकता, बिलखिरिया, मोहम्मद अल्ताफ (23), निवासी ऐशबाग शामिल हैं। सभी को न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया गया है।
पुलिस ने इस मामले में भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 140(3), 140(4), 296, 115(2), 118(1), 351(3), 3(5), 61(2) और पोक्सो एक्ट सहित आईटी एक्ट की धाराएं लगाई हैं। पुलिस का कहना है कि वायरल वीडियो की तकनीकी जांच कर आगे की कार्रवाई की जाएगी, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इसे किसने और कैसे फैलाया।
मध्यप्रदेश में बच्चों के खिलाफ अपराधों के आंकड़े
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की 2022 की रिपोर्ट में मध्यप्रदेश में बच्चों के खिलाफ अपराधों की स्थिति गंभीर रूप में सामने आई है। राज्य में इस वर्ष कुल 20,415 मामले दर्ज किए गए, जो देशभर में महाराष्ट्र (20,762) के बाद दूसरा सबसे ऊँचा आंकड़ा है। रिपोर्ट के अनुसार सबसे अधिक मामले बच्चों के अपहरण और बहला-फुसलाकर ले जाने से जुड़े हैं, जिनकी संख्या 10,125 रही। वहीं, यौन शोषण संबंधी अपराधों में भी मध्यप्रदेश आगे रहा, जहाँ POCSO अधिनियम के तहत 6,654 मामले दर्ज किए गए। बच्चों की हत्या के 109 और आत्महत्या के लिए उकसाने के 90 मामले भी रिपोर्ट में शामिल हैं।
चौंकाने वाली बात यह रही कि मध्यप्रदेश में बच्चों के खिलाफ अपराध दर 71 प्रति एक लाख बच्चों पर रही, जो राष्ट्रीय औसत से काफी अधिक है और दिल्ली के बाद दूसरे स्थान पर है। NCRB की रिपोर्ट यह भी बताती है कि 96.8% यौन अपराधों में आरोपी पीड़ित के परिचित ही होते हैं और लगभग 99% मामलों में पीड़ित बच्चियाँ होती हैं। यह आंकड़े राज्य में बाल संरक्षण तंत्र की गंभीर स्थिति और जागरूकता की कमी को उजागर करते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इन अपराधों पर काबू पाने के लिए शासन को बाल सुरक्षा के ढांचों को मज़बूत करना होगा और समाज को भी संवेदनशील भूमिका निभानी होगी।
बाल आयोग ने दिए निर्देश
द मूकनायक से बातचीत में मध्यप्रदेश राज्य बाल संरक्षण आयोग के सदस्य ओंकार सिंह ने बताया कि जैसे ही यह मामला आयोग के संज्ञान में आया, तुरंत भोपाल पुलिस कमिश्नर से जाँच प्रतिवेदन की मांग की गई है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में लगातार नाबालिग बच्चों के खिलाफ गंभीर घटनाएं सामने आ रही हैं, जो बेहद चिंताजनक हैं।
उन्होंने आगे कहा कि आयोग समय-समय पर प्रशासन को ऐसे मामलों में तत्काल कार्रवाई के निर्देश देता है ताकि पीड़ित बच्चों को न्याय मिल सके। ओंकार सिंह ने बताया कि जांच रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की अनुशंसा की जाएगी।