यूपी के प्रयागराज में छात्रों का पांचवे दिन भी आंदोलन जारी

05:02 PM Nov 15, 2024 | The Mooknayak

प्रयागराज। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) के बाहर छात्र पांचवे दिन भी धरने में डटे हुए हैं। आयोग के गेट के बाहर छात्र-छात्राएं इकट्ठा हुए हैं। आरओ-एआरओ परीक्षा एक दिन में कराए जाने की मांग की जा रही है। छात्रों ने स्पष्ट कर दिया है की परीक्षा रद्द करने और समिति बनाने से काम नहीं चलेगा, आयोग को एक दिवस एक पाली में परीक्षा का निर्णय लेना होगा।

हालांकि आयोग ने आरओ-एआरओ परीक्षा को स्थगित कर दिया है। साथ ही परीक्षा को लेकर कमेटी का गठन किया गया। शुक्रवार को आंदोलन पर बैठे प्रतियोगी छात्रों ने कहा कि स्थगन से वे संतुष्ट नहीं हैं। आयोग को एक दिवस एक पाली में परीक्षा का निर्णय लेना होगा, इसके बाद ही वह आंदोलन स्थल से हटेंगे। शुक्रवार को भी आंदोलन जारी है, लेकिन भीड़ काफी कम है। स्थिति यह है कि सड़क की एक लेन पर वाहनों का आवागमन भी चालू करा दिया गया है।

प्रतियोगी छात्र विमल का कहना है कि जो छात्र आरओ-एआरओ की परीक्षा देता है वह पीसीएस भी देता है। ऐसे में यदि एक परीक्षा को एक दिवसीय किया गया तो दूसरी परीक्षा दो दिवसीय होने से उनको नॉर्मलाइजेशन के कारण असमान मूल्यांकन झेलना होगा। ऐसे में दोनों परीक्षाओं में वन डे-वन शिफ्ट लागू होना चाहिए।

प्रदर्शनकारी छात्रों का कहना है कि आरओ-एआरओ प्रारंभिक परीक्षा भी एक दिन में कराने की घोषणा की जाए, तभी उनका आंदोलन पूरी तरह से खत्म होगा। छात्रों की मांग यह है कि जिस तरह से पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा को एक शिफ्ट में कराने की घोषणा की गई है, उसी तरह आरओ-एआरओ परीक्षा भी वन डे वन शिफ्ट में कराने का लिखित आश्वासन दिया जाए। तभी वह धरना खत्म करेंगे।

आंदोलित छात्रों का कहना है कि आरओ-एआरओ परीक्षा के लिए उच्च स्तरीय कमेटी गठित करने का आश्वासन देकर आयोग प्रतियोगी छात्रों को बरगला नहीं सकता है। दोनों परीक्षाओं को एक दिन एक शिफ्ट में कराने की मांग को लेकर आंदोलन शुरू किया गया था। आयोग ने एक ही परीक्षा की मांग मानी है, जबकि आरओ एआरओ परीक्षा को एक दिन में कराने के लिए कोई फैसला नहीं किया है।

आयोग पर प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थी आरओ-एआरओ परीक्षा को भी एक दिन में कराने की मांग पर अड़े हैं। आयोग के सचिव ने कहा कि आरओ-एआरओ के लिए उच्चस्तरीय कमेटी का गठन किया जाएगा। कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर परीक्षा कराने का निर्णय लिया जाएगा, लेकिन छात्र मानने के लिए तैयार नहीं हैं।

उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग

यूपीपीएससी पीसीएस परीक्षा 22 दिसंबर को, नोटिस जारी

उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने 2024 के पीसीएस (प्रारंभिक) परीक्षा को लेकर बड़ा फैसला लिया है। अब यह परीक्षा एक ही दिन, यानि 22 दिसंबर 2024 को आयोजित की जाएगी। आयोग ने इस परीक्षा को पहले दो दिनों में आयोजित करने का प्रस्ताव रखा था, लेकिन छात्र-छात्राओं के विरोध और प्रयागराज में हुए विरोध प्रदर्शन के बाद इस निर्णय को बदला गया है।

आयोग द्वारा शुक्रवार को जारी की गई प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया कि पहले पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा 7 और 8 दिसंबर 2024 को आयोजित होने वाली थी, लेकिन अब इसे एक ही दिन 22 दिसंबर को दो सत्रों में आयोजित किया जाएगा। पहला सत्र सुबह 9:30 बजे से 11:30 बजे तक होगा और दूसरा सत्र दोपहर 2:30 बजे से 4:30 बजे तक होगी।

इस निर्णय से छात्र संतुष्ट हैं। पहले दो दिनों तक परीक्षा आयोजित होने के ऐलान से वो नाराज थे और सड़क पर उन्होंने विरोध प्रदर्शन भी किया था।

सूत्रों के मुताबिक, आयोग ने आरओ (रेवेन्यू ऑफिसर) और एआरओ (असिस्टेंट रेवेन्यू ऑफिसर) परीक्षा की प्रक्रिया को लेकर भी एक समिति गठित की है। यह समिति परीक्षा की पूरी प्रक्रिया को व्यवस्थित करने के लिए काम करेगी, जिससे परीक्षा में पारदर्शिता और छात्रों को बेहतर अनुभव मिल सके।

बता दें कि आयोग ने यह फैसला प्रयागराज में छात्रों के विरोध के बाद लिया है। छात्रों का कहना था कि परीक्षा को दो दिनों में विभाजित करने से उन्हें अत्यधिक तनाव और कठिनाई का सामना करना पड़ रहा था। इसके अलावा, छात्रों को एक दिन में दोनों सत्रों के बीच का समय काफी लंबा लग रहा था। इस विरोध को देखते हुए यूपीपीएससी ने छात्रों की परेशानियों को समझते हुए परीक्षा को एक दिन में आयोजित करने का निर्णय लिया।

कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी

छात्रों की मांग एकदम सही, दूसरी भी मानी जानी चाहिए: प्रमोद तिवारी

उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा प्रयागराज में प्रदर्शनरत छात्रों की कुछ मांगे मानने के बाद भी आंदोलन जारी है।इस पर सियासी बयानबाजी भी खूब हो रही है। कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने भारतीय जनता पार्टी को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया।

उन्होंने आईएएनएस से कहा, “छात्रों की बातें पूरी तरह से उचित हैं। वे बिना किसी राजनीतिक एजेंडे के अपनी बात रख रहे हैं। सवाल यही है कि आखिर उनकी जो डिमांड मानी गई, उसके लिए उन्हें 6 दिन तक लाठियां क्यों खानी पड़ी? जब कदम गलत था, तो सरकार क्यों 5 दिन तक अड़ी रही? मैं सिर्फ यह कहना चाहता हूं कि उनकी दूसरी मांग भी पूरी तरह से न्यायसंगत है और आरओ को लेकर जो मांग की गई है उसे तुरंत स्वीकार किया जाना चाहिए। मैं छात्रों के शांतिपूर्ण आंदोलन के साथ पूरी तरह से खड़ा हूं।”

इसके बाद, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा भारतीय जनता पार्टी पर समाज को बांटने के आरोप का समर्थन करते हुए उन्होंने कहा, "मल्लिकार्जुन खड़गे ने जो कहा, वह देश की आवाज है और देश के हित में है। प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह जो कर रहे हैं, वह देश की एकता और अखंडता के खिलाफ है। मैं पूरी तरह से खड़गे के बयान का समर्थन करता हूं। प्रधानमंत्री मोदी आप मरने मारने की बातें क्यों कर रहे हैं? आपका काम लोगों को बचाना है। भाजपा आपके लिए बड़ी है, हमारे लिए देश सबसे बड़ा है, पार्टी नहीं।"

प्रधानमंत्री के खिलाफ कांग्रेस पार्टी द्वारा चुनाव आयोग में शिकायत किए जाने पर उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री मोदी, आपको क्या हो गया है? आपके भाषण की शुरुआत संसद से मंगलसूत्र, कब्रिस्तान से हुई, और अब आप यहां तक पहुंच गए कि 'बंटेंगे तो कटेंगे'। अब आप विपक्ष की गरिमा का भी ख्याल नहीं रखते। आप तो औरंगजेब तक की तुलना कर रहे हैं। मैं आपसे कहता हूं, अटल बिहारी वाजपेई से सीखिए, चरण सिंह से सीखिए। ये लोग अपनी भाषा की मर्यादा रखते थे, आप तो सड़क छाप भाषा बोल रहे हैं। यह भाषा एक सामान्य कार्यकर्ता की भी नहीं हो सकती। आप हार की बौखलाहट में देश को नुकसान पहुंचा रहे हैं। यही कारण है कि हम चुनाव आयोग गए हैं।"

वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने अशोक चौहान के उस बयान का समर्थन किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि "बंटेंगे तो कटेंगे" वाला नारा महाराष्ट्र में नहीं चलेगा। इस पर उन्होंने कहा, "इससे पहले भाजपा के कई नेताओं ने इस नारे का विरोध किया था। इस पर आपत्ति जताई थी कि यह नारा देश या किसी क्षेत्र में नहीं चल सकता। बहुत से सहयोगी भी इस नारे से असहमत हैं, जैसे चौहान साहब, जो पूर्व मुख्यमंत्री हैं, या पवार साहब, जो वर्तमान में डिप्टी मुख्यमंत्री हैं। ये सभी जानते हैं कि यह नारा देश में नहीं चल सकता, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी कहां रुक रहे हैं?"

Inputs With IANS