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रूपेश कुमार सिंह सेहत खराब, व्याकुल परिजनों ने जेल अधीक्षक को लिखा पत्र

भागलपुर- शहीद जुब्बा सहनी केंद्रीय कारागार, भागलपुर में एनआईए मामले (केस संख्या-19/22) में विचाराधीन बंदी और पेशे से पत्रकार रूपेश कुमार सिंह की बिगड़ती स्वास्थ्य स्थिति ने उनके परिवार को गहरी चिंता में डाल दिया है। पिछले तीन वर्षों से जेल में बंद रूपेश के स्वास्थ्य संबंधी हालिया जांच परिणाम चिंताजनक स्तर की ओर इशारा कर रहे हैं, जिसके बाद उनकी पत्नी ईप्सा शताक्षी ने जेल अधीक्षक को एक विस्तृत पत्र लिखकर उन्हें तत्काल चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने और उचित स्थान पर स्थानांतरित करने की मांग की है।

पत्र के अनुसार, रूपेश कुमार सिंह को पिछले कुछ समय से तनाव, बेचैनी, डिप्रेशन और याददाश्त पर प्रभाव जैसी गंभीर मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इसके अलावा, उन्हें ‘साइनस’ और एलर्जी की पुरानी समस्या है, जिसके कारण हर सुबह छींक और नाक से पानी गिरने की शिकायत रहती है और मौसम बदलने पर यह और भी गंभीर हो जाती है। शारीरिक समस्याओं में पैरों की नसों में खिंचाव और पिंडलियों में तीव्र दर्द भी शामिल है, जिसके लिए जेल अस्पताल द्वारा केवल कैल्शियम की गोलियां दी जा रही हैं, जिससे कोई विशेष आराम नहीं मिल पा रहा है। उनके विटामिन डी के स्तर की जांच भी अभी तक नहीं हो पाई है।

रूपेश की पत्नी इप्सा ने द मूकनायक को बताया कि उनके पति को पैरों की नसों में खिंचाव और पिंडलियों में तीखे दर्द की समस्या भी है, यह समस्या खेल-कूद, व्यायाम जैसे शारीरिक गतिविधियों से थोड़ी कम रहती है। पर सेल बंदियों के लिए खेल-कूद की व्यवस्था ही नहीं है। दर्द की समस्या के बढ़ने पर जेल अस्पताल से हर बार कैल्शियम की दवा दी गई है, पर इससे आराम नहीं मिल पा रहा है। इनके विटामिन डी की जांच आवश्यक है। जो अभी तक नहीं हुई है। चूंकि जेल अस्पताल में थायरायड की जांच बाहर से करवाई जाती है अतः इसके लिए बंदी को पैसे देने पड़ते हैं, मतलब खुद के खर्च से ही थायरायड की जाँच संभव है। इन्होंने उस जांच के लिए सैम्पल 14 अगस्त को दिया है।

जांच के परिणाम ने परिवार की चिंताओं को और बढ़ा दिया है। इप्सा ने बताया कि जांच रिपोर्ट में उनका वीएलडीएल कोलेस्ट्रॉल (VLDL Cholesterol) 125 है, जबकि सामान्य स्तर 30 से कम होना चाहिए। इसी तरह, उनके सीरम ट्राइग्लिसराइड्स (Serum Triglycerides) का स्तर 519 पाया गया है, जबकि यह सामान्यतः 150 से कम होना चाहिए। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की गाइडलाइन के अनुसार भी ये स्तर अत्यंत चिंताजनक माने जाते हैं और हृदय रोग के गंभीर जोखिम का संकेत देते हैं। थायराइड संबंधी जांच का रिजल्ट अभी भी बाकी है।

परिवार की ओर से यह भी आरोप लगाया गया है कि जेल में बंदियों के लिए पीने का साफ पानी उपलब्ध नहीं है और पानी में आर्सेनिक व आयरन की उच्च मात्रा की आशंका जताई गई है। सेल के कमरे का प्लास्टर झड़ रहा है, जिससे बरसात के मौसम में और समस्याएं उत्पन्न होने का खतरा है। साथ ही, सेल बंदियों के लिए खेल-कूद या शारीरिक गतिविधियों की कोई व्यवस्था नहीं है, जिससे उनकी स्वास्थ्य समस्याएं और बढ़ रही हैं।

ईप्सा शताक्षी ने अपने पत्र में जोर देकर कहा है कि रूपेश एक पढ़े-लिखे और सामाजिक सरोकारों से जुड़े पत्रकार हैं, जिन्होंने जेल में रहते हुए भी इग्नू से स्नातकोत्तर की पढ़ाई जारी रखी है, लेकिन वर्तमान में उच्च सुरक्षा वाली सेल में रखे जाने और आवश्यक सुविधाओं के अभाव में उनका शैक्षणिक और चिकित्सकीय विकास अवरुद्ध हो रहा है। उन्होंने जेल प्रशासन से अनुरोध किया है कि रूपेश कुमार सिंह को तुरंत एक बेहतर चिकित्सा सुविधा और सुरक्षित वातावरण में स्थानांतरित किया जाए, ताकि उनके गंभीर स्वास्थ्य जोखिमों को कम किया जा सके और उचित इलाज सुनिश्चित हो सके। परिवार को उम्मीद है कि जेल अधीक्षक इस गंभीर मामले में त्वरित और उचित कार्रवाई करेंगे।

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