धीरेंद्र शास्त्री की 'हिंदू सनातन एकता पदयात्रा 2.0' का विरोध तेज, दामोदर यादव बोले- “अगर धर्म सबका है तो मंदिर में हक भी सबका होना चाहिए”

12:20 PM Nov 09, 2025 | Ankit Pachauri

भोपाल। बागेश्वर धाम के प्रमुख पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की ‘हिंदू सनातन एकता पदयात्रा 2.0’ भले ही हिंदू एकता और हिंदू राष्ट्र के संकल्प के नाम पर हजारों लोगों को सड़कों पर ला रही हो, लेकिन इसके साथ ही इस यात्रा को लेकर विरोध भी शुरू हो गया है। सोशल मीडिया पर समाज के पिछड़े और वंचित वर्गों से जुड़े कार्यकर्ताओं ने सवाल उठाना शुरू कर दिया है कि जब धर्म सबका है, तो उसमें समान अधिकारों की बात क्यों नहीं की जाती। इसी कड़ी में आजाद समाज पार्टी के नेता दामोदर यादव ने धीरेंद्र शास्त्री पर निशाना साधते हुए एक वीडियो जारी किया, जिसमें उन्होंने कहा- “अगर धर्म सबका है, तो मंदिर में हक भी सबका होना चाहिए। क्या आप सरकार से यह मांग करेंगे कि मंदिरों में SC, ST और OBC वर्ग के 80 प्रतिशत पुजारी बनाए जाएं?”

दामोदर यादव के इस सवाल ने सोशल मीडिया पर नई बहस छेड़ दी है। कई लोगों ने यादव के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि धार्मिक संस्थाओं में समान अवसर और प्रतिनिधित्व की बात किए बिना, हिंदू एकता का नारा केवल ऊपरी दिखावा है। लोगों का कहना है कि देश की असल एकता तभी संभव है जब हर वर्ग को उसके हक का स्थान मिले- चाहे वह धर्म के क्षेत्र में हो, समाज में या फिर राजनीति में।

दिल्ली के इंद्रप्रस्थ से शुक्रवार को शुरू हुई ‘हिंदू सनातन एकता पदयात्रा 2.0’ शनिवार को अपने दूसरे दिन फरीदाबाद पहुंची। इस यात्रा में क्रिकेटर शिखर धवन, केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर, कैलाश विजयवर्गीय, पहलवान द ग्रेट खली और गायक कन्हैया मित्तल जैसे कई नामी चेहरे शामिल हुए। यात्रा के दौरान पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा, “छत से हिंदू राष्ट्र नहीं बनेगा, इसके लिए सड़क पर उतरना पड़ेगा। जागो हिंदुओं, एक हो जाओ। यह कोई शोभायात्रा नहीं, बल्कि हिंदू जगाओ यात्रा है।”

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शास्त्री ने यह भी कहा कि यह यात्रा सिर्फ एक आयोजन नहीं, बल्कि “हिंदू राष्ट्र के संकल्प की नई शुरुआत” है। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन हिन्दुत्व को जोड़ने, हिंदुओं को जगाने और समाज में समरसता स्थापित करने के लिए है। बाबा ने कहा कि जब तक देश हिंदू राष्ट्र नहीं बन जाता, तब तक ऐसी यात्राएं और जनजागरण अभियान चलते रहेंगे। उनके इस बयान को लेकर कई सामाजिक संगठनों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। इन संगठनों का कहना है कि भारत का संविधान एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र की गारंटी देता है, और हिंदू राष्ट्र की मांग संविधान की मूल भावना और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के खिलाफ है।

यात्रा पर उठे सवाल

दूसरी ओर, दामोदर यादव और उनके जैसे सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि बाबा शास्त्री अगर सच में हिंदू समाज में एकता और समरसता लाना चाहते हैं, तो उन्हें पहले मंदिरों में समानता का मुद्दा उठाना चाहिए। यादव ने अपने वीडियो में कहा, “आज भी मंदिरों में ब्राह्मणवाद कायम है। निचली जातियों को पुजारी बनने से रोका जाता है। क्या बागेश्वर बाबा यह साहस दिखा पाएंगे कि वह सरकार से कहें कि मंदिरों में पुजारी नियुक्ति में 80 प्रतिशत पद SC, ST और OBC वर्गों को दिए जाएं? यही सच्ची समरसता और बराबरी होगी।”

यादव ने यह भी कहा कि हिंदू राष्ट्र की बात करने से पहले हिंदू समाज के भीतर की असमानता को खत्म करना जरूरी है। अगर समाज में निचले तबकों को मंदिर, धर्म और परंपरा में समान स्थान नहीं मिलेगा, तो यह एकता सिर्फ ऊपरी दिखावा बनकर रह जाएगी। यादव का यह बयान तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है और कई लोगों ने इसे संवैधानिक चेतना की आवाज बताया है।

उधर, धीरेंद्र शास्त्री के समर्थकों ने दामोदर यादव के बयान को हिंदू एकता तोड़ने की कोशिश बताया है। उनका कहना है कि बाबा का उद्देश्य समाज को जोड़ना है, विभाजित करना नहीं। बागेश्वर धाम के अनुयायियों का कहना है कि बाबा शास्त्री ने कभी किसी जाति या वर्ग के खिलाफ कुछ नहीं कहा और वे केवल धर्म और संस्कृति की रक्षा की बात करते हैं। बाबा के समर्थकों का कहना है कि इस यात्रा का मकसद केवल सनातन परंपरा को पुनर्जीवित करना और समाज में जागरूकता लाना है, किसी विशेष वर्ग को अलग करना नहीं।

हालांकि, संविधान विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में धर्म और राज्य अलग-अलग हैं, और किसी भी प्रकार की धार्मिक राष्ट्र की मांग संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 की भावना के खिलाफ है। इन अनुच्छेदों में नागरिकों को धर्म की स्वतंत्रता दी गई है, लेकिन राज्य को धर्म से अलग रखा गया है। इसलिए जब कोई सार्वजनिक या राजनीतिक व्यक्ति हिंदू राष्ट्र की बात करता है, तो यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या यह संविधान की आत्मा से टकराता नहीं है।