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एनसीईआरटी ने कहा- हम नहीं करते इंडिया और भारत में अंतर

नई दिल्ली। केन्द्र सरकार ने गत बुधवार को राज्यसभा में कहा कि राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) इंडिया और भारत के बीच अंतर नहीं करती है। संविधान में निहित भावना को स्वीकार करती है, जिसमें दोनों को मान्यता दी गई है। शिक्षा राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने वाम सदस्यों संतोष कुमार पी और इलामाराम करीम के एक सवाल के लिखित जवाब में यह जानकारी दी। उन्होंने सवाल किया था-क्या सरकार को राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद के पैनल से पाठ्यपुस्तकों में जहां इंडिया शब्द का प्रयोग किया जा रहा है। वहां भारत शब्द का प्रयोग करने की कोई सिफारिश प्राप्त हुई है?

उन्होंने कहा कि भारत का संविधान देश के नाम के रूप में इंडिया और भारत दोनों को मान्यता देता है। और इनका उपयोग परस्पर किया जा सकता है। एनसीईआरटी संविधान में निहित भावना को स्वीकार करती है। और दोनों के बीच अंतर नहीं करती है। मंत्री ने कहा कि देश सामूहिक रूप से औपनिवेशक मानसिकता से दूर जा रहा है और भारतीय भाषा में शब्दों के उपयोग को प्रोत्साहित करता है।

बता दें कि, गत अक्टूबर में स्कूली पाठ्यक्रम को संशोधित करने के लिए एनसीईआरटी द्वारा गठित सामाजिक विज्ञान की उच्च-स्तरीय समिति ने सभी कक्षाओं की पाठ्यपुस्तकों में इंडिया को भारत से बदलने की सिफारिश की थी। हालांकि एनसीईआरटी ने कहा था कि उसे अभी सिफारिशों पर निर्णय लेना है।

द मूकनायक ने उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर स्थित केन्द्रीय विद्यालय के शिक्षक हरिद्वार दुबे से बात की। वह बताते हैं कि भारत शब्द हमारे देश की हमारी संस्कृति से जुड़ा है। इंडिया दूसरों का नाम दिया हुआ है। इंडिया शब्द हमारी भावनाओं से भी जुड़ा नहीं हैं। मैं पूरी तरह से भारत का समर्थन करता हूं। मेरा इंडिया शब्द का कोई समर्थन नहीं है। मैं समझ नहीं पा रहा हूं, की एनसीईआरटी ऐसा क्यों कह रही है। यह एनसीईआरटी की ना समझी है। जो यह बोल रहा है कि इंडिया और भारत में कोई अंतर नहीं है। उनको फर्क करना चाहिए। क्योंकि शिक्षा ही ऐसी है जो हमारे आने वाली पीढ़ी को समझाएगी, की भारत शब्द कितना महत्वपूर्ण है। वहीं इस स्कूल के 12वीं के छात्र रोहन शर्मा ने कहा कि इण्डिया या भारत दोनों ही नाम हमारी पहचान बताते है। मुझे दोनों नामों में कोई आपत्ति नहीं लगती है।

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