MP में बुद्ध पूर्णिमा पर आस्था का सैलाब: भोपाल सहित मध्यप्रदेश के बौद्ध विहारों में उमड़ा अनुयायियों का जलजला

06:03 PM May 12, 2025 | Ankit Pachauri

भोपाल। बुद्ध पूर्णिमा के पावन अवसर पर रविवार को मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल समेत पूरे प्रदेश के बौद्ध विहारों में श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा। सुबह से ही बौद्ध अनुयायियों का बौद्ध विहारों की ओर आना शुरू हो गया था, जो शाम तक जारी रहा। इस पावन दिन को गौतम बुद्ध के जन्म, ज्ञान प्राप्ति और महापरिनिर्वाण के दिवस के रूप में मनाया जाता है।

राजधानी भोपाल के भीम नगर स्थित बौद्ध विहार, अशोका गार्डन, गोविंदपुरा और बरखेड़ा पाथर में सुबह-सुबह ही श्रद्धालु जुटने लगे थे। अनुयायियों ने अपने पारंपरिक वस्त्रों में पूजा-अर्चना की, धम्मपद का पाठ किया और तथागत बुद्ध के जीवन पर आधारित प्रवचन सुने।

बौद्ध विहारों को फूलों से सजाया गया था। बच्चों, युवाओं और बुजुर्गों में विशेष उत्साह देखा गया। महिलाएं बड़ी संख्या में बौद्ध विहार पहुंचीं। कई जगहों पर सामूहिक ध्यान (मेेडिटेशन) सत्र और भिक्षुओं के प्रवचन आयोजित किए गए।

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सामाजिक सौहार्द और शांति का संदेश

बौद्ध अनुयायियों ने इस मौके पर भगवान बुद्ध की शिक्षाओं – करुणा, अहिंसा और समता – को आत्मसात करने का संकल्प लिया। अनेक स्थानों पर “बुद्धं शरणं गच्छामि” के घोष गूंजते रहे। कार्यक्रमों में सामाजिक सौहार्द और संविधानिक मूल्यों पर चर्चा हुई।

बुद्ध विहार, गोविंदपुरा में आयोजित कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा, “आज के दौर में बुद्ध के विचार और भी अधिक प्रासंगिक हो गए हैं। जब समाज में तनाव और असमानता बढ़ रही है, तब करुणा और समता का मार्ग ही स्थायी समाधान है।”

प्रदेश के अन्य जिलों में भी हर्षोल्लास

सागर, ग्वालियर, जबलपुर, रीवा, शिवपुरी, छतरपुर, बालाघाट, मंदसौर और रतलाम सहित प्रदेशभर के जिलों में बौद्ध अनुयायियों ने बुद्ध पूर्णिमा को श्रद्धा और समर्पण के साथ मनाया। कई जगहों पर प्रभात फेरी निकाली गई, जिनमें बच्चे तथागत बुद्ध की वेशभूषा में शामिल हुए।

जबलपुर के लम्हेटाघाट स्थित प्राचीन बौद्ध स्थल पर हजारों लोगों ने पहुंचकर भगवान बुद्ध को नमन किया। यहाँ ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण अवशेष भी मौजूद हैं, जिन्हें देखने पर्यटक भी आए।

सेवा कार्यों पर भी रहा ज़ोर

इस अवसर पर कई सामाजिक संगठनों और बौद्ध संघों द्वारा रक्तदान शिविर, नि:शुल्क स्वास्थ्य जांच, पौधारोपण और गरीबों में भोजन वितरण जैसे सेवा कार्य किए गए।

द मूकनायक से बातचीत में भंते सागर ने बताया कि इस अवसर पर आपसी सौहार्द और समरसता का संदेश दिया गया। उन्होंने बताया कि बौद्ध विहार में सुबह 10 बजे से मुख्य कार्यक्रम की शुरुआत हुई, जिसमें सैकड़ों अनुयायियों ने भाग लिया। उपस्थित जनों ने बुद्ध की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित किए और विक्षुओं द्वारा भगवान बुद्ध के जीवन और उनके उपदेशों पर विस्तृत रूप से प्रकाश डाला गया।

भंते सागर ने आगे बताया कि कार्यक्रम के संध्या सत्र में सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ आयोजित की गईं, जिनमें अनुयायियों ने भाग लेकर बौद्ध दर्शन और सामाजिक समरसता से जुड़े संदेशों को रचनात्मक ढंग से प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजनों से समाज में मेल-जोल और भाईचारे की भावना को मजबूती मिलती है।

बुद्ध के जीवन की तीन घटनाएं एक ही दिन

भगवान बुद्ध का जन्म (लुंबिनी, नेपाल में) हुआ. उन्हें बोधगया में ज्ञान की प्राप्ति हुई. और कुशीनगर में उनका महापरिनिर्वाण हुआ।