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अंबेडकर मूर्ति विवाद: ग्वालियर में सीएम को काले झंडे दिखाने का प्रयास, वकीलों ने जताया विरोध

भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के ग्वालियर आगमन के दौरान विरोध प्रदर्शन की कोशिश सामने आई है। हाईकोर्ट परिसर में डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा स्थापित करने की मांग और 13 फीसदी ओबीसी आरक्षण को लेकर सरकार की चुप्पी से नाराज वकीलों ने सीएम को काले झंडे दिखाने की तैयारी की थी। हालांकि, पुलिस ने समय रहते फूलबाग चौराहा पर सभी प्रदर्शनकारियों को रोक लिया और एसएसपी ऑफिस ले जाकर समझाइश दी।

शनिवार दोपहर जब मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ग्वालियर पहुंचे, उसी समय कुछ वकीलों के समूह ने फूलबाग चौराहे पर काले झंडे दिखाने का प्रयास किया। पुलिस को इस विरोध की जानकारी पहले से मिल चुकी थी। सीएसपी रोबिन जैन ने बताया कि, “हमें सूचना थी कि कुछ लोग मुख्यमंत्री को काले झंडे दिखाने की योजना बना रहे हैं। हमने किसी को गिरफ्तार नहीं किया है, बल्कि शांतिपूर्वक समझाइश दी गई और सभी को एसएसपी ऑफिस लाया गया।”

प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे एडवोकेट विश्वजीत रतौनिया ने कहा कि सरकार हाईकोर्ट परिसर में अंबेडकर की मूर्ति स्थापित करने के मामले में चुप है। इस मुद्दे पर ज्ञापन भी दिया गया, लेकिन कोई स्पष्ट रुख नहीं लिया गया।

डॉ. अंबेडकर की मूर्ति स्थापना में देरी पर सवाल

प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि सरकार जानबूझकर हाईकोर्ट परिसर में डॉ. अंबेडकर की प्रतिमा स्थापित करने में देरी कर रही है। विश्वजीत रतौनिया ने कहा, “हमने मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा था, लेकिन आज तक कोई जवाब नहीं आया। सरकार किसके पक्ष में है, यह स्पष्ट नहीं है। इसी वजह से हमने काले झंडे दिखाकर विरोध करने का निर्णय लिया।”

ओबीसी आरक्षण पर भी जताई नाराजगी

वकीलों ने यह भी कहा कि मध्य प्रदेश में 13 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण को अभी तक बहाल नहीं किया गया है। इससे ओबीसी वर्ग में व्यापक असंतोष है। प्रदर्शनकारियों ने इसे सामाजिक न्याय के खिलाफ बताया और कहा कि सरकार की निष्क्रियता के चलते समुदाय में गुस्सा बढ़ रहा है।

द मूकनायक से बातचीत में अधिवक्ता धर्मेंद्र कुशवाहा ने कहा कि हम मुख्यमंत्री को काले झंडे दिखाकर शांतिपूर्ण विरोध जताना चाहते थे, लेकिन पुलिस ने हमें पहले ही रोक लिया। हमारा मकसद सरकार का ध्यान उन मुद्दों की ओर दिलाना था, जो लंबे समय से अनदेखे किए जा रहे हैं।

उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर ग्वालियर हाईकोर्ट परिसर में अब तक बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा स्थापित क्यों नहीं की जा सकी है? इसके साथ ही उन्होंने ओबीसी वर्ग को मिलने वाले 27 प्रतिशत आरक्षण को रोकने पर भी नाराजगी जताई और कहा कि सरकार की यह चुप्पी सामाजिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है।

पुलिस का दावा- सिर्फ समझाइश दी गई

प्रदर्शनकारियों की संख्या 10 से 15 के बीच बताई गई है। सभी को पुलिस वाहन से एसएसपी धर्मवीर सिंह के पास ले जाया गया, जहां सभी को शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात रखने के लिए कहा गया। पुलिस अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि न तो किसी की गिरफ्तारी हुई है, न ही कोई केस दर्ज किया गया है।

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