+

मध्य प्रदेश: वंचित समुदायों की आवाज बने The Mooknayak के पत्रकार अंकित पचौरी, नेता प्रतिपक्ष ने की सराहना

नई दिल्ली। मध्य प्रदेश के पत्रकार और द मूकनायक के उप संपादक अंकित पचौरी के द्वारा लिखे समाचारों का उल्लेख हार्वर्ड विश्वविद्यालय के प्रकाशन 'नियमन रिपोर्ट' में किया गया। इस पर मध्य प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने अंकित पचौरी को बधाई देते हुए उनकी पत्रकारिता की सराहना की।

पिछले कुछ वर्षों में, द मूकनायक को अपनी पत्रकारिता के लिए कई भारतीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं, जिनमें 2022 में ह्यूमन राइट्स एंड रिलीजियस फ्रीडम जर्नलिज्म अवार्ड्स में बेस्ट मीडिया ऑर्गेनाइजेशन का पुरस्कार शामिल है। 

नेता प्रतिपक्ष ने लिखा पत्र

नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने अंकित पचौरी को एक व्यक्तिगत पत्र लिखकर उनके प्रयासों की सराहना की। उन्होंने लिखा, "यह उपलब्धि आपकी साहसिक और निष्पक्ष पत्रकारिता की पहचान है। आपने न केवल समाज के वंचित और शोषित वर्गों की आवाज़ को मजबूती दी है, बल्कि संवैधानिक मूल्यों और समानता के प्रति जागरूकता बढ़ाई है।"

अंकित पचौरी को नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने लिखा पत्र

सिंघार ने यह भी कहा कि अंकित पचौरी ने आदिवासी, दलित और अन्य वंचित समुदायों के अधिकारों को प्रमुखता से उठाया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि अंकित अपनी मेहनत और जोश के साथ पत्रकारिता के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को छूते रहेंगे।

हार्वर्ड की नियमन रिपोर्ट में उल्लेखित खबरें

नियमन रिपोर्ट में अंकित पचौरी द्वारा लिखी गई तीन प्रमुख खबरों का उल्लेख किया गया है, जिन्होंने समाज पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाला।

दलित युवाओं को लोन में रुकावट

द मूकनायक का प्राथमिक उद्देश्य दर्शकों की संख्या बढ़ाना नहीं, बल्कि सामाजिक प्रभाव पैदा करना है। नवंबर 2022 में, अंकित पचौरी ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की, जिसमें मध्य प्रदेश सरकार द्वारा दलित युवाओं के लिए व्यवसाय शुरू करने हेतु दिए जाने वाले $4.5 मिलियन (लगभग ₹37 करोड़) के फंड को जारी न करने का मामला उजागर किया। इस फंड का उद्देश्य दलित समुदाय के युवाओं को आर्थिक सशक्तिकरण के लिए ऋण प्रदान करना था।

अंकित पचौरी ने अनुसूचित जाति वित्त विकास निगम की स्थिति पर एक रिपोर्टिंग की, जिसमें बताया गया कि बजट की कमी के कारण दलित युवाओं को रोजगार योजनाओं के तहत लोन नहीं मिल पा रहा है। पचौरी की रिपोर्टों की श्रृंखला ने सरकार को फंड जारी करने के लिए बाध्य किया। सरकार ने तत्काल कार्रवाई करते हुए 38 करोड़ रुपये का बजट जारी किया।

सिलिकोसिस से पीड़ित आदिवासी मजदूर

पन्ना जिले में पत्थर खदानों में काम करने वाले आदिवासी मजदूरों की सिलिकोसिस बीमारी पर अंकित की रिपोर्ट ने सरकार का ध्यान आकर्षित किया। इसके परिणामस्वरूप पीड़ितों को सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सका।

दलित महिला की बेटी के शिक्षा के अधिकार पर लिखा

रायसेन की दलित महिला सुनीता आर्या की कहानी ने समाज के उस पक्ष को उजागर किया, जो अक्सर मुख्यधारा की चर्चा से गायब रहता है। सुनीता, जो लिविंग रिलेशनशिप में रहते हुए एक बेटी की मां बनीं, अपनी बेटी का स्कूल में दाखिला कराने में कई तरह की सामाजिक और प्रशासनिक बाधाओं का सामना कर रही थीं। यह खबर कई बड़े मीडिया हाउस ने महत्वहीन मानते हुए रिजेक्ट कर दी थी, लेकिन अंकित पचौरी ने इसे न सिर्फ समझा, बल्कि मानवीय संवेदनाओं और संवैधानिक मूल्यों को ध्यान में रखते हुए लिखा। उनकी रिपोर्ट ने न केवल सुनीता के संघर्ष को आवाज़ दी। इस खबर को हार्वर्ड विश्वविद्यालय के नियमन रिपोर्ट ने प्रमुखता से सराहा और लिखा कि अंकित ने इस कहानी के मूल्य को समझा।

Trending :
facebook twitter