भोपाल। मध्य प्रदेश के शहडोल जिले में बीते 24 घंटे में रिकॉर्ड 4 इंच बारिश दर्ज की गई, जिसने शहर की स्थिति पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दी। शहर के लगभग 40 फीसदी हिस्से में जलभराव हो गया। बारिश इतनी तेज थी कि सड़कों ने नदी का रूप ले लिया और घरों में पानी इस कदर घुसा कि रसोई से लेकर बेडरूम तक डूब गए। हजारों परिवारों के सामने अचानक बाढ़ जैसी आपदा खड़ी हो गई।
घरों में घुसा 4 फीट तक पानी, प्रशासन नहीं पहुंचा
स्थानीय समाचार रिपोर्ट्स के मुताबिक शहर की न्यू हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी, पटेल नगर और दधिबल कॉलोनी में अधिकतम नुकसान देखने को मिला। कई घरों में 4 फीट तक पानी भर गया। यहां लोगों ने बताया, "हमने नगर पालिका और पार्षद को बार-बार कॉल किया, लेकिन कोई मदद नहीं आई। घर में रखा सामान खराब हो गया, हजारों का नुकसान हुआ है।"
स्थानीय इंजीनियर रवींद्र ठाकुर ने बताया कि जलभराव की मुख्य वजह शहर में सुचारु ड्रेनेज सिस्टम का अभाव है। उन्होंने चेताया कि जब तक शहर को वैज्ञानिक ढंग से ड्रेनेज नेटवर्क से नहीं जोड़ा जाएगा, तब तक ऐसे हालात हर बारिश में बनते रहेंगे। नगर पालिका द्वारा निर्माण की अनुमति तो दी जाती है, लेकिन पानी निकासी की व्यवस्था की जांच नहीं की जाती।
अस्पताल के तीन वार्डों में घुसा पानी
जिला अस्पताल की हालत भी कम गंभीर नहीं रही। तेज बारिश से अस्पताल के सर्जिकल, मेडिकल और एक अन्य वार्ड में पानी भर गया। निचले हिस्सों में तो पानी की गहराई 3 फीट तक पहुंच गई थी। लगातार पानी भरता देख मरीज और उनके परिजन घबरा गए। अस्पताल की सिविल सर्जन डॉ. शिल्पी सराफ ने बताया कि बिल्डिंग 50 साल पुरानी है और ड्रेनेज व्यवस्था नहीं होने से पानी बाहर नहीं निकल पाया।
रेलवे स्टेशन डूबा, 4 घंटे तक यातायात ठप
शहडोल रेलवे स्टेशन भी बारिश की मार से नहीं बच सका। प्लेटफॉर्म नंबर 1 और 2 की पटरियां पानी में डूब गईं, जिससे रेल यातायात 4 घंटे तक बाधित रहा। यात्रियों को घंटों तक इंतजार करना पड़ा। रेलवे स्टेशन में स्थित जीआरपी थाना भी पूरी तरह जलमग्न हो गया। थाने के अंदर दस्तावेज, कंप्यूटर और रिकॉर्ड फाइलें पानी में डूब गईं। पुलिसकर्मी बाल्टियों से पानी निकालते नजर आए। दोपहर 2 बजे के बाद स्थिति कुछ सामान्य हो सकी और ट्रेनें दोबारा पटरी पर लौटीं।
मेडिकल कॉलेज से टूटा संपर्क
तेज बारिश का प्रभाव मेडिकल कॉलेज तक पहुंचा। शहर से मेडिकल कॉलेज को जोड़ने वाला एकमात्र मार्ग नाले के उफान में डूब गया। करीब 4 घंटे तक रास्ता पूरी तरह बंद रहा। गंभीर मरीजों को निकालने के लिए प्रशासन को विशेष सावधानी बरतनी पड़ी। मेडिकल स्टाफ को सरकारी वाहनों की मदद से नाले के पार कराया गया, जो अपने आप में जोखिम भरा था। कॉलेज के निचले हिस्सों में भी जलभराव हुआ, हालांकि इससे स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित नहीं हुईं।
शहर से संपर्क टूटे, सड़कें बनी नदियां
शहडोल से कई प्रमुख मार्ग, जैसे सिंहपुर, पंडरिया, रायपुर, डिंडौरी, उमरिया और बुढ़ार जलभराव के कारण दिनभर बंद रहे। जैतपुर से जनकपुर (छत्तीसगढ़) जाने वाला मार्ग भी बाधित रहा। खपर खूंटा नदी पर बना पुल 5 फीट ऊपर से बह रहा था। शहर का मुख्य क्षेत्र गांधी चौक तालाब में तब्दील हो गया। यहां की दुकानों में 3 फीट तक पानी भर गया। शहर की लगभग सभी गालियों में 2-3 फीट पानी भरा रहा।