बिहार: नालंदा में पत्रकारिता की स्वतंत्रता पर हमला, खबर लिखने से नाराज जनसंपर्क अधिकारी ने रिपोर्टर से अभद्रता कर आईकार्ड छीना!

05:39 PM May 20, 2025 | Ankit Pachauri

नई-दिल्ली। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा में जिला जनसंपर्क अधिकारी (डीपीआरओ) गुप्तेश्वर कुमार के खिलाफ पत्रकारों का गुस्सा चरम पर है। पत्रकारों ने उन पर अभद्र व्यवहार, धमकी देने और प्रेस की स्वतंत्रता में बाधा डालने जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं। मामले ने तूल पकड़ लिया है और बिहार ही नहीं, देशभर के पत्रकारों ने इस रवैए की कड़ी निंदा की है।

दरअसल, मामला 'खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2025' के आयोजन से जुड़ा है, जो 4 से 15 मई तक राजगीर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में आयोजित किया गया। चार मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका वर्चुअल उद्घाटन किया, लेकिन कार्यक्रम स्थल पर उसका लाइव प्रसारण नहीं किया गया। इस लापरवाही को स्थानीय समाचार पत्र के पत्रकार प्रमोद कुमार ने रिपोर्ट किया, जिसके बाद उन्हें जनसंपर्क पदाधिकारी की नाराजगी झेलनी पड़ी।

पत्रकार को दी गई धमकी, जबरन छीना गया आईडी कार्ड

पत्रकार प्रमोद कुमार ने जब दूसरे दिन भी जिला प्रशासन की खामियों को उजागर किया, तो 6 मई की शाम को जनसंपर्क पदाधिकारी ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर उनसे बदसलूकी की। उनका गला और हाथ पकड़ कर दबाया गया और खेलो इंडिया की ओर से जारी आईडी कार्ड जबरन छीन लिया गया। साथ ही धमकी दी गई कि "दुबारा यहां दिखे तो जेल भेज देंगे।" इसके बाद प्रमोद आयोजन की कवरेज नहीं कर सके।

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अन्य पत्रकार भी हुए पीड़ित

डीडी न्यूज के पत्रकार आकाश राज के साथ भी डीपीआरओ द्वारा दुर्व्यवहार किए जाने की बात सामने आई है। पत्रकारों का कहना है कि डीपीआरओ पत्रकारों को 'साहब' कहकर बुलवाना पसंद करते हैं और असहमति पर नाराज हो जाते हैं। पत्रकारों ने यह भी आरोप लगाया है कि वे प्रेस विज्ञप्तियों और कार्यक्रमों की सूचना भी चुनिंदा पत्रकारों को ही देते हैं।

मुख्यमंत्री से कार्रवाई की मांग

घटना के विरोध में नेटवर्क ऑफ वीमेन इन मीडिया, इंडिया (NWMI), बिहार चैप्टर, बिहारी पत्रकार संघ, बिहारी शहरी एवं ग्रामीण पत्रकार संघ और देशभर के वरिष्ठ पत्रकारों ने संयुक्त रूप से बयान जारी कर जनसंपर्क पदाधिकारी को बर्खास्त करने की मांग की है।

संगठनों का कहना है, “यह प्रेस की स्वतंत्रता पर सीधा हमला है। पत्रकारों को धमकाना, उनका आईडी कार्ड छीनना, और सरकारी कार्यक्रमों की कवरेज से रोकना लोकतंत्र के चौथे स्तंभ का अपमान है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को तत्काल इस घटना का संज्ञान लेकर संबंधित अधिकारी के विरुद्ध कार्रवाई करनी चाहिए।”

पत्रकारों ने कहा कि वे लोकतंत्र और प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं और किसी भी प्रकार की दमनकारी मानसिकता को बर्दाश्त नहीं करेंगे। अगर जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो प्रदेश भर के पत्रकार आंदोलन का रास्ता अपनाएंगे।

बिहारी शहरी एवं ग्रामीण पत्रकार संघ की संस्थापक सदस्य सुमिता जैसवाल ने द मूकनायक से बातचीत में पत्रकारों पर बढ़ते हमलों और अभद्रता की घटनाओं पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि नालंदा के डीपीआरओ द्वारा एक पत्रकार के साथ की गई बदसलूकी, धमकी और शासकीय कार्यक्रम का आईकार्ड छीन लेना पत्रकारिता की स्वतंत्रता पर सीधा हमला है। सुमिता ने कहा कि यह निंदनीय कृत्य है और संघ इसका पुरजोर विरोध करता है। उन्होंने सरकार से मांग की कि जब तक डीपीआरओ गुप्तेश्वर को बर्खास्त नहीं किया जाता, तब तक विरोध जारी रहेगा।

सुमिता जैसवाल ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि सरकार कार्रवाई नहीं करती है तो संघ के सदस्य नालंदा डीएम ऑफिस के सामने धरना देंगे। उन्होंने साफ कहा कि कार्रवाई न होने की स्थिति में यह आंदोलन अनिश्चितकालीन चलेगा।

द मूकनायक से टेलीफोनिक बातचीत में डीपीआरओ गुप्तेश्वर कुमार ने कहा कि उन पर लगाए जा रहे सभी आरोप निराधार हैं। उन्होंने कहा, 'मैंने किसी भी पत्रकार के साथ अभद्रता नहीं की है।'

पत्रकारों की मांगें

  • नालंदा के डीपीआरओ गुप्तेश्वर कुमार को तत्काल बर्खास्त किया जाए।

  • घटना की निष्पक्ष जांच कर दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए।

  • पत्रकारों की सुरक्षा और प्रेस की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए नीति बनाई जाए।

क्या कहता है संविधान?

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) के तहत नागरिकों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्राप्त है। प्रेस की स्वतंत्रता इसी अनुच्छेद के अंतर्गत आती है, जिसमें समाचार एकत्र करने, रिपोर्टिंग करने और जनता तक सूचना पहुंचाने का अधिकार शामिल है। किसी भी सरकारी अधिकारी द्वारा पत्रकार को धमकाना या कवरेज से रोकना, संविधान की मूल भावना का उल्लंघन है।