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अंबेडकर जयंती: देश बाबा साहेब को कर रहा याद, समरसता मैराथन में दिल से दौड़े दिल्ली वाले

नई दिल्ली/भुवनेश्वर। संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की जयंती धूमधाम से मनाई जा रही है। इस अवसर पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है, जिनमें सामाजिक समरसता और एकता का संदेश दिया जा रहा है। दिल्ली के बवाना में अंबेडकर जयंती के उपलक्ष्य में दिल्ली सरकार ने एक समरसता मैराथन का आयोजन किया गया, जबकि ओडिशा में कांग्रेस नेताओं ने बाबा साहेब को पुष्पांजलि अर्पित कर उनके योगदान को याद किया।

दिल्ली के बवाना में आयोजित समरसता मैराथन को दिल्ली सरकार के समाज कल्याण मंत्री रविंद्र इंद्राज ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। मैराथन की शुरुआत बवाना के झंडा चौक से हुई और इसका समापन राजीव गांधी स्टेडियम में हुआ। इस दौरान "जय भीम" के नारे गूंजते रहे। मैराथन में बड़ी संख्या में लोगों ने हिस्सा लिया और बाबा साहेब के सामाजिक समानता के विचारों को बढ़ावा देने का संदेश दिया। दिल्ली सरकार ने इस आयोजन के जरिए एकता, भाईचारा और सामाजिक समरसता का संदेश देने का प्रयास किया। मंत्री रविंद्र इंद्राज ने कहा कि बाबा साहेब का संविधान आज भी देश को मजबूती और दिशा प्रदान कर रहा है।

उधर, ओडिशा में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भक्त चरण दास ने बाबा साहेब अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि बाबा साहेब के योगदान के कारण ही भारत आज एक मजबूत और विकसित राष्ट्र के रूप में खड़ा है। उन्होंने बताया कि बाबा साहेब ने संविधान के माध्यम से देश को एकता का सूत्र दिया, जिसने दलितों, आदिवासियों, महिलाओं, अल्पसंख्यकों और गरीबों को सम्मान और स्वाभिमान का जीवन जीने का अधिकार प्रदान किया।

भक्त चरण दास ने कहा, "बाबा साहेब का संविधान भारत की आत्मा है। इसकी बदौलत देश ने तरक्की की नई ऊंचाइयां छुई हैं।"

उन्होंने आगे कहा कि कई चुनौतियों और विरोधों के बावजूद संविधान आज भी अडिग है। भक्त दास ने कहा कि बाबा साहेब के विचार और सत्य की ताकत इतनी बड़ी है कि उनके विरोधी भी आज संविधान का सम्मान करने को मजबूर हैं। उन्होंने बाबा साहेब के योगदान को मानवता के लिए सबसे बड़ा मार्गदर्शन बताया और कहा कि उनका जीवन और कार्य हम सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत है। देशभर में अंबेडकर जयंती के अवसर पर स्कूलों, कॉलेजों और सामाजिक संगठनों ने भी कई कार्यक्रम आयोजित किए। लोगों ने बाबा साहेब के विचारों को अपनाने और सामाजिक समानता के लिए काम करने का संकल्प लिया। यह दिन भारत के लिए एकता और संवैधानिक मूल्यों को फिर से याद करने का अवसर बना।

(With inputs from IANS)

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