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वोटर लिस्ट संशोधन से पहले अखिलेश यादव का बड़ा दांव, SIR फॉर्म में 'जाति' कॉलम जोड़ने की उठाई मांग

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में 4 नवंबर से मतदाता सूचियों का विशेष सघन पुनरीक्षण (SIR) अभियान शुरू होने जा रहा है। इस बड़ी कवायद के शुरू होने से ठीक पहले, समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एक महत्वपूर्ण मांग उठाकर राजनीतिक हलचल तेज कर दी है। शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए, पूर्व मुख्यमंत्री ने मांग की कि SIR फॉर्म में 'जाति' का एक अलग कॉलम जोड़ा जाना चाहिए।

अखिलेश यादव ने जोर देकर कहा कि जाति के आंकड़ों को शामिल करने से सरकार के कामकाज और उसकी नीतियों को "सामाजिक न्याय" की तर्ज पर सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।

उन्होंने कहा, "जब इतना बड़ा अभियान (SIR) चल ही रहा है, तो चुनाव आयोग को फॉर्म में जाति के लिए एक और कॉलम जोड़ देना चाहिए। यह इसी प्रक्रिया के हिस्से के रूप में एक प्रकार की प्रारंभिक जाति जनगणना जैसा होगा।"

2027 के लिए 'सामाजिक न्याय' का संकल्प

इससे पहले, शुक्रवार को सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती के अवसर पर, अखिलेश यादव ने लखनऊ स्थित पार्टी कार्यालय में पार्टी के अन्य सदस्यों के साथ एक संकल्प लिया। सभी ने 2027 में उत्तर प्रदेश में "सामाजिक न्याय" वाली सरकार बनाने का प्रण लिया।

सपा नेताओं ने अखिलेश यादव की उपस्थिति में शपथ लेते हुए कहा, "अखिलेश यादव जी के नेतृत्व में 2027 में भारतीय जनता पार्टी को हटाकर, देश को बचाने के लिए, सामाजिक न्याय वाली सरकार लाने के लिए अपना योगदान देंगे।"

इस शपथ ग्रहण के बाद, सपा प्रमुख ने यह भी ऐलान किया कि जब उनकी सरकार सत्ता में आएगी, तो वे "सरदार पटेल के नाम पर एक आधुनिक विश्वविद्यालय की स्थापना करेंगे" और उनके विचारों को सम्मान देने के लिए भी कदम उठाए जाएंगे।

'वंचितों के लिए नीतियां बनाने में मिलेगी मदद'

प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अखिलेश ने बताया कि उन्होंने लखनऊ में कई व्यक्तियों और समूहों के साथ इस मुद्दे पर चर्चा की है। उन्होंने अपनी मांग को दोहराते हुए कहा, "जब उत्तर प्रदेश में SIR हो रहा है... मतदाताओं के लिए इतनी बड़ी कवायद हो रही है... तो हमारी मांग है कि उसमें जाति-आधारित गिनती के लिए एक और कॉलम जोड़ा जाए। हम यह मांग लंबे समय से कर रहे हैं और बस एक कॉलम ही तो बढ़ाना है।"

उन्होंने स्पष्ट किया कि भले ही विस्तृत जाति आधारित जनगणना बाद में हो सकती है, लेकिन इस महत्वपूर्ण डेटा को प्राथमिक जाति गणना के तौर पर इकट्ठा किया जा सकता है। सपा प्रमुख के अनुसार, यह कदम भविष्य में वंचितों और सामाजिक-आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए सरकारी योजनाएं व नीतियां बनाने में सहायक होगा और सामाजिक न्याय की सरकार की स्थापना को आसान बनाएगा।

BLO की नियुक्ति पर उठाए सवाल

अखिलेश यादव ने इस दौरान एक गंभीर आरोप भी लगाया। उन्होंने दावा किया कि SIR के लिए नियुक्त किया गया एक भी बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) 'पीडीए' (पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक) समुदाय से नहीं है। उन्होंने 2024 में भाजपा के अयोध्या लोकसभा सीट हारने के बाद हुए उपचुनाव का जिक्र करते हुए कहा कि उस समय भी चयनित पीठासीन अधिकारियों की नियुक्ति में कुछ इसी तरह की प्रक्रिया अपनाई गई थी।

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